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व्यवस्था की खामी से लगी ठेस ने बनाया प्रशासनिक अधिकारी

गिरिडीह : सफलता के लिए कड़ी मेहनत करें और भटकाव व कल्पना से हमेशा दूर रहें। फेसबुक, मोबाइल, इंटरने

By Edited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 08:11 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 08:11 PM (IST)
व्यवस्था की खामी से लगी ठेस ने बनाया प्रशासनिक अधिकारी

गिरिडीह : सफलता के लिए कड़ी मेहनत करें और भटकाव व कल्पना से हमेशा दूर रहें। फेसबुक, मोबाइल, इंटरनेट, टीवी की भी लत नहीं लगाएं। इससे समय की बर्बादी के साथ-साथ ध्यान का भटकाव भी होगा। सबसे अच्छा मित्र माता-पिता और पुस्तक हैं। माता-पिता को कभी दुख नहीं पहुंचाएं। दोस्त कई मिल जाएंगे, लेकिन माता-पिता नहीं। खूब पढ़े और लिखें। यह संदेश उप विकास आयुक्त वीरेंद्र भूषण ने बच्चों को दिया है। दैनिक जागरण के बाल संवाद कार्यक्रम के तहत वे शहर के हनी होली ट्रिनिटी स्कूल के बच्चों का मार्गदर्शन कर रहे थे। शिक्षक मो. शमीम एवं जियाउद्दीन के नेतृत्व में आए डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों ने उनसे करियर, प्रशासनिक व्यवस्था, जिले के विकास, व्यक्तिगत जीवन आदि से जुड़े कई सवाल किए। इस बीच बच्चों ने अपने सवालों से उनके बचपन की याद भी ताजा करा दी। उन्होंने न केवल बच्चों के सवालों का जवाब दिया, बल्कि उनका मार्गदर्शन भी किया। प्रस्तुत है बच्चों के सवाल और डीडीसी भूषण के जवाब :

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सवाल : आपको प्रशासनिक पदाधिकारी बनने की प्रेरणा कैसे मिली? -श्रेया

जवाब : बात 1974 के आसपास की है। तब मैं नौवीं कक्षा में था। अपना प्रमाणपत्र लेने एक कार्यालय गया था, जहां पदाधिकारी का व्यवहार मुझे अच्छा नहीं लगा। उसी समय मैंने प्रशासनिक पदाधिकारी बनने की ठानी थी। पदाधिकारी की भाषा और बोली में शालीनता होनी चाहिए, ताकि किसी को चोट न पहुंचे।

सवाल : खाली समय में आप क्या करना पसंद करते हैं? -आनंद कुमार

जवाब : ऐसे तो खाली समय बहुत कम ही मिलता है, लेकिन जब खाली समय रहता है तो मुझे उपन्यास पढ़ना, सीरियल और फिल्म देखना अच्छा लगता है।

सवाल : हाल ही में मनरेगा में गिरिडीह जिला को सरकार से पुरस्कार मिला है। इसमें क्या बेहतर काम हुआ कि जिला को यह गौरव प्राप्त हुआ है?

अजीत कुमार

जवाब : मनरेगा एक अधिनियम है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को साल में सौ दिन रोजगार देने का प्रावधान है। इसमें पहले बिचौलिए हावी होते थे। इसे देखते हुए सरकार के निर्देश पर मजदूरों के जाब कार्ड को आधार सी¨डग से जोड़ा गया, ताकि वास्तविक लोगों को इसका लाभ मिल सके। इस कार्य में गिरिडीह जिला का देशभर में तीसरा और झारखंड में प्रथम स्थान पर रहा। इसी कार्य के लिए गिरिडीह जिला को सरकार ने पुरस्कृत किया है। हालांकि इसमें काफी मेहनत करनी पड़ी, जिसमें सभी बीडीओ का भी काफी योगदान रहा है।

सवाल : एक आइएएस अधिकारी बनने के लिए हमे क्या करना होगा ? -विश्वजीत

जवाब : आप अपने करियर के प्रति अभी से ही सजग हैं और अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया है, यह अच्छी बात है। इस उम्र में हमलोग केवल पढ़ते थे। आइएएस बनने के लिए काफी परिश्रम करने की आवश्यकता है। दिमाग को एकाग्रचित कर तैयारी करनी पड़ेगी। अपना ध्यान फिजूल की बातों में न लगाकर पढ़ाई पर केंद्रित करना होगा। अपनी सोच भी सकारात्मक रखें।

सवाल : मेरे घर के बगल में एक माइका फैक्ट्री है। इससे प्रदूषण के कारण काफी परेशानी होती है। प्रदूषण रोकने के लिए क्या करेंगे?

-अभिषेक आनंद

जवाब : प्रदूषण की समस्या पूरे क्षेत्र में है। इस पर नियंत्रण रखने के लिए प्रदूषण नियंत्रण विभाग बना हुआ है। फिर भी हमलोग इसे देखेंगे। ऐसी फैक्ट्रियों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण सही से लगे, यह सुनिश्चित कराया जाएगा।

सवाल : गिरिडीह शहर की स्वच्छता और सुंदरीकरण की क्या योजना है? -अंजली

जवाब : नगर पर्षद ने शहर में सड़कों के किनारे पीसीसी कराने और रोड़ किनारे लगी वैपर लाइट को एलईडी में बदलने की योजना बनायी है, ताकि ऊर्जा की कम खपत हो। इसके अलावा सड़कों के किनारे बड़े-बड़े डस्टबिन भी लगाए जाएंगे। वैसे शहर को स्वच्छ और सुंदर रखने के लिए आम जनता का भी सहयोग जरूरी है। जनता जहां-तहां कूड़ा-कचरा फेंकने के बजाय डस्टबिन में डालें। गंदगी न फैलाये।

सवाल : छात्र जीवन में आपका हॉबी क्या थी ? -सूरज

जवाब : क्रिकेट, लुका-छिपी और कबड्डी खेलना मेरा हॉबी था।

सवाल : शहर में बस पड़ाव रहने के बाद भी वाहनों को जहां-तहां लगाया जाता है, जिससे ट्रैफिक की समस्या उत्पन्न होती है। प्रशासन इस पर पहल क्यों नहीं करता? -आदिल हुसैन

जवाब : बस पड़ाव का सुंदरीकरण कराने की योजना है। इसके लिए शीघ्र ही टेंडर निकाला जाएगा। उसके बाद सभी बस व अन्य वाहन वहीं लगेंगे, रोड किनारे नहीं। हालांकि इसमें हमारी भी गलती है, क्योंकि हम चाहते हैं कि वाहन पकड़ने के लिए दूर न जाना पड़े और घर के सामने ही गाड़ी मिल जाए। इस सोच में बदलाव लाने की आवश्कता है।

सवाल : क्या सरकार से मिलने वाली राशि का शत प्रतिशत उपयोग विकास कार्यों में होता है?

-साक्षी सोनी

जवाब : यह एक ज्वलंत सवाल है। पहले की अपेक्षा अब ऐसी गड़बड़ियों पर काफी रोक लगी है, लेकिन अभी भी निचले स्तर पर कुछ न कुछ गड़बड़ियां होती हैं। हालांकि इसे रोकने के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है। इसे रोकने के लिए सरकार ने पंचायती राज लागू किया है, जिसके तहत गांवों के विकास के लिए सारा फंड मुखिया को दिया जाता है। हालांकि सभी की सोच एक जैसी नहीं रहती है, जिस कारण ऐसी गड़बड़ियों की शिकायत मिलती है?

सवाल : कोई भी काम करने के एवज में रिश्वत क्यों मांगी जाती है ? -नेहा

जवाब : रिश्वत लेना-देना दोनों गलत है। रिश्वत मांगने वालों का विरोध करें। सरकार ने सेवा का अधिकार लागू किया है, जिसके तहत सरकारी कार्यालयों में हर काम के लिए समय निर्धारित किया गया है। निर्धारित समय सीमा के अंदर काम नहीं होता है और रिश्वत मांगी जाती है तो आप उच्चाधिकारी से शिकायत कर सकते हैं। रिश्वतखोरी रोकने के लिए निगरानी टीम है। ऐसे मामले में निगरानी ने कइयों को गिरफ्तार भी किया है।

सवाल : आप इस पद पर रहकर व्यक्तिगत जीवन के लिए कैसे समय निकालते हैं? -मुस्कान सिन्हा

जवाब : इसमें थोड़ी परेशानी होती है। परिवार को ज्यादा समय नहीं दे पाता हूं। काम के बाद जो समय मिलता है उसे परिवार के साथ व्यतीत करता हूं। आवश्यकता के समय में परिवार के लिए समय नहीं मिलने पर दुख होता है।

सवाल : जब आप सातवीं-आठवीं कक्षा में थे, तो उस समय आपका क्या लक्ष्य था?

-ऊषा हेम्ब्रम

जवाब : उस समय मैंने अपना लक्ष्य निर्धारित नहीं किया था। तब मेरा काम पढ़ना और खेलना था।

सवाल : गिरिडीह में एक भी पार्क नहीं है। इसके लिए आप क्या पहल कर रहे? -शमा परवीन

जवाब : यहां मैंने भी यह कमी महसूस की है। मुझे भी इसकी कमी खलती है। वैसे पार्क के लिए जमीन की तलाश की जा रही है।

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इन्होंने भी पूछे सवाल

निकहत परवीन, गरिमा, रिया रानी, सानिया, अंजुमन बानो।


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