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कार्रवाई से शिक्षकों में उबाल, विभाग को ही ठहराया दोषी

गिरिडीह : जिले के शिक्षकों में इन दिनों विभागीय पदाधिकारियों के प्रति काफी रोष व्याप्त है। शौचालय नि

By Edited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 06:50 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 06:50 PM (IST)
कार्रवाई से शिक्षकों में उबाल, विभाग को ही ठहराया दोषी

गिरिडीह : जिले के शिक्षकों में इन दिनों विभागीय पदाधिकारियों के प्रति काफी रोष व्याप्त है। शौचालय निर्माण के मामले में की जा रही कार्रवाई को शिक्षक पचा नहीं पा रहे हैं। शिक्षकों ने इसे न केवल एक तरफा कार्रवाई बताया, बल्कि शौचालय निर्माण में हो रहे विलंब के लिए विभाग को ही जिम्मेदार ठहराया है।

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क्या है मामला : बता दें कि सभी विद्यालयों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए विभाग इन दिनों जोरशोर से अभियान चला रहा है। विभागीय पदाधिकारी लगातार स्कूलों का दौरा कर ग्राम शिक्षा समितियों के अध्यक्ष-सचिव को शौचालय निर्माण कराने का निर्देश दे रहे हैं। कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां पदाधिकारियों के बार-बार निर्देश देने के बाद भी शौचालय निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया गया।

ऐसे विद्यालयों को चिह्नित करते हुए विभाग के स्तर से कार्रवाई शुरू कर दी गई है। करीब एक सौ सरकारी एवं पारा शिक्षकों पर कार्रवाई को लेकर डीएसई सह डीपीओ ने हाल के दिनों में नोटिस जारी की है। ऐसे पारा शिक्षकों का अनुबंध समाप्त किया जाना है, तो सरकारी शिक्षकों को निलंबित।

कार्रवाई का हो रहा विरोध : इस कार्रवाई पर यहां विरोध शुरू हो गया है। शिक्षकों की ओर से इसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि शौचालय निर्माण सहित अन्य असैनिक कार्य कराने की जिम्मेदारी ग्राम शिक्षा समिति की होती है, जिसमें अध्यक्ष ग्रामीण और सचिव प्रधानाध्यापक होते हैं। इसके अलावा सदस्य भी ग्रामीण ही होते हैं।

ऐसे में केवल सचिव अपने मन से कुछ नहीं कर सकते। जिन विद्यालयों में अध्यक्ष एवं सदस्य दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं वहां शौचालय निर्माण नहीं हो पा रहा है, जबकि कार्रवाई केवल शिक्षकों एवं पारा शिक्षकों पर की जा रही है जो गलत है।

देर से उपलब्ध कराई गई राशि : शिक्षक विभाग पर शौचालय निर्माण मद की राशि काफी विलंब से उपलब्ध कराने का भी आरोप लगा रहे हैं। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विनोद राम ने कहा कि विद्यालयों को शौचालय निर्माण के लिए जो राशि उपलब्ध कराई गई है, वह वर्ष 2010-11 के बजट की है जबकि यह राशि विद्यालयों को कुछ माह पूर्व विमुक्त की गई। उस वर्ष की तुलना में अभी सीमेंट, छड़, ईट, मजदूरी सहित अन्य सामग्री के दाम काफी बढ़ गए हैं। इस कारण उपलब्ध कराई गई राशि में शौचालय का निर्माण कराना संभव नहीं है। यही वजह है कि समिति के लोग इस कार्य से पीछे भाग रहे हैं, लेकिन विभागीय पदाधिकारी इस समस्या का समाधान करने के बजाय केवल शिक्षकों पर कार्रवाई करने पर तुले हुए हैं जो गलत है।

'' स्कूलों में शौचालय निर्माण कराने के लिए शिक्षकों एवं ग्राम शिक्षा समितियों को काफी समय दिया गया। बार-बार निर्देश देने के बाद भी कार्य प्रारंभ नहीं करने पर कार्रवाई शुरू की गई है। न केवल शिक्षकों पर कार्रवाई हो रही है, बल्कि अध्यक्ष को भी हटाने का निर्देश जारी किया गया है। भवन निर्माण की राशि के साथ ही शौचालय का पैसा भी कई साल पूर्व विद्यालयों को उपलब्ध कराया गया था। शौचालय निर्माण कराने के लिए शिक्षकों को काफी समय मिला। अपनी गलती को न देख कार्रवाई से बचने से लिए विभाग पर ऐसा आरोप लगाना ठीक नहीं है।

- विनय सिंह, सहायक अभियंता


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