बंजर जमीन पर झूम रहे कई पेड़
तिसरी (गिरिडीह) : एक नेत्रहीन दंपती का पर्यावरण संरक्षण के प्रति जज्बा मिसाल कायम कर रहा है। इस दंपत
तिसरी (गिरिडीह) : एक नेत्रहीन दंपती का पर्यावरण संरक्षण के प्रति जज्बा मिसाल कायम कर रहा है। इस दंपती की मेहनत से करीब एक एकड़ बंजर भूमि पर पेड़-पौधे लहलहा रहे हैं। यही पेड़-पौधे इस दंपती के जीविकोपार्जन का जरिया भी हैं।
बता दें कि तिसरी रीजनल कॉलोनी और नदी के किनारे एक एकड़ बंजर जमीन पर नेत्रहीन विनय कुमार भारती ने करीब दो सौ इमारती लकड़ी एवं फलदार वृक्ष लगाए हैं। हालांकि पूंजी के अभाव में चारदीवारी नहीं करा पाने के कारण कई वृक्ष नष्ट हो गए। इसके बावजूद भारती फलदार वृक्षों से अपने परिवार का भरण-पोषण कर लेते हैं।
विनय अपनी पत्नी झरना भारती के साथ सुबह-शाम बगीचा जाकर पेड़ों को चापाकल से पटवन करते हैं। साथ ही घर के लिए सब्जी भी उपजा लेते हैं। विनय ने कहा कि बगीचा की देखरेख की चिंता लगी रहती हैं क्योंकि उनकी पत्नी भी नेत्रहीन हैं। इस कारण जानवर बगीचा में लगे पेड़-पौधों को क्षति पहुंचा देते हैं।
वे शुरू से ही पेड़-पौधों के शौकीन थे। उन्होंने वर्ष 1996 मे पिता कामेश्वर भारती की मदद से बंजर जमीन को उपजाऊ जमीन बना दिया और महोगनी, शीशम, गम्हार, सागवान, आम, जामुन आदि पेड़ लगाए। यहां एक सौ फलदार पेड़ लगाने की तमन्ना है, लेकिन जानवरों के डर से नहीं लगा पा रहे हैं। विनय को बागवानी करने में पत्नी के अलावा मां शाति देवी, भाई बबलू, धमल आदि मदद करते हैं। विनय ने कहा कि बगीचा की चारदीवारी जरूरी है। यदि चारदीवारी बन जाए तो उनकी सारी समस्या हल हो जाएगी।