खुद निश्शक्त मगर बच्चियों को बना रहा सशक्त
गांडेय (गिरिडीह) : अगर कुछ करने का जज्बा हो तो शारीरिक निश्शक्तता आड़े नहीं आती। इसी बात को चरितार्थ
गांडेय (गिरिडीह) : अगर कुछ करने का जज्बा हो तो शारीरिक निश्शक्तता आड़े नहीं आती। इसी बात को चरितार्थ कर रहे हैं एक पैर से निश्शक्त पुतुल साव। उन्होंने समाज के लिए कुछ करने की ठानी है। उन्होंने एक मशीन ली और बच्चियों को सिलाई सिखाने के काम में जुट गए। उनका यह अभियान 1995 से अब तक अनवरत जारी है।
गांडेय के महोदा मोड़ निवासी पुतुल बच्चियों को निश्शुल्क साड़ी में फॉल लगाने, सलवार सूट, ब्लाउज, फ्रॉक, पायजामा सिलना आदि सीखा रहे हैं। बसंती कुमारी, ललिता कुमारी, सूरजमुनी मुर्मू, पूजा कुमारी, नेहा कुमारी ने बताया कि वेलोग यहां मुफ्त में सिलाई सीख रही हैं।
पुतुल ने कहा कि आज के दौर में बेटियों के पास हुनर होना जरूरी है, ताकि वह आत्मनिर्भर बन सकें और ससुराल में जाकर यह शिक्षा दूसरों को भी दे। वह काफी गरीब है। यदि उसे इसके लिए सरकारी सहायता मिलती तो वह सिलाई सेंटर चलाता। उसे सिर्फ विकलाग पेंशन मिलती है। दुकान तक नहीं है। बच्चियों को किसी तरह सीखा रहा है। वे सिलाई सीखने के लिए सूता, बटन आदि अपने साथ लाती हैं। प्रखंड प्रमुख अंजू देवी ने कहा कि वह व्यक्ति अच्छा काम कर रहा है। उसे सरकारी सहायता मिलनी चाहिए।