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यहां राज्यों के नाम पर बनती धर्मशाला

मधुबन (गिरिडीह) : मध्यप्रदेश भवन, हरियाणा भवन, बुंदेलखंड भवन, ये अलग-अलग राज्यों में बने भवनों के ना

By Edited By: Published: Fri, 29 May 2015 08:12 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2015 08:12 PM (IST)
यहां राज्यों के नाम पर बनती धर्मशाला

मधुबन (गिरिडीह) : मध्यप्रदेश भवन, हरियाणा भवन, बुंदेलखंड भवन, ये अलग-अलग राज्यों में बने भवनों के नाम नहीं हैं, बल्कि मधुबन की धर्मशालाएं हैं। यहा हिन्दुस्तान के अलग-अलग राज्यों के नाम पर भवन देखने को मिलते हैं। मधुबन में जैसे-जैसे धर्मशालाएं बनती जा रही हैं, वैसे ही यात्रियों के लिए जगह भी कम पड़ती जा रही है। होली, श्रावण सप्तमी जैसे कुछ खास अवसर पर तो यात्रियों को कमरा मिलना मुश्किल हो जाता है।

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बता दें कि पारसनाथ पर्वत जैनधर्म के 20 तीर्थकरों का निर्वाण स्थल है जिसकी तलहटी में बसा मधुबन मंदिरों और धर्मशालाओं की नगरी है। पर्वत यात्रा करने पहुंचे भक्त मधुबन में ही ठहरते हैं। दूसरे दिन वंदना करने पारसनाथ पर्वत चढ़ते हैं और रात विश्राम मधुबन में ही करते हैं। यह जैन धर्मावलंबियों का अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है।

देश के कोने-कोने से भारी संख्या में तीर्थयात्री यहा पूजा-अर्चना करने आते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जैसे-जैसे धर्मशालाओं की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे यात्रियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। कुछ खास अवसर पर यात्रियों को तो कमरा तक नहीं मिलता। इधर कुछ वर्षो से अलग-अलग राज्यों के नाम से धर्मशालाएं बनने लगी हैं। करीब छह माह पहले मध्य प्रदेश भवन का उद्घाटन किया गया था।

यहां एक दशक से उत्तर प्रदेश प्रकाश भवन संचालित है जहा यात्री ठहरते हैं। ये सभी संस्थाएं बेहतर आधुनिक सुविधाएं देने और यात्रियों को आकर्षित करने का प्रयास करती हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को तमिलनाडु भवन का शिलान्यास किया गया। भले ही मधुबन एक छोटी जगह है लेकिन यहां उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि देखने को मिलता है।

तमिलनाडु भवन का शिलान्यास : जैनियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन में शुक्रवार को तमिलनाडु भवन का भूमि पूजन एवं शिलान्यास हुआ। गाजे-बाजे के साथ लोग मधुबन स्थित भिरंगी मोड़ से आगे एक धर्मशाला के लिए चयनित भूमि पर पहुंचे, जहां विधि-विधान के साथ भूमि पूजन और शिलान्यास किया गया। बताया गया कि यह धर्मशाला तमिलनाडु भवन के नाम से जानी जाएगी। इस दौरान भजनों से पूरा वातावरण गुंजायमान रहा। मौके पर आचार्य सुदेश सागरजी महाराज, आचार्य कुमुंदनंद जी महाराज, मुनि निरंजन सागर जी महाराज, जयपाल पंडित आदि उपस्थित थे।


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