मधुबन-पारसनाथ में थम नहीं रहा मलेरिया का प्रकोप
गिरिडीह : विश्वप्रसिद्ध पर्यटनस्थल के रूप में मधुबन-पारसनाथ को पहचान दिलाने की सरकार की कोशिशों से अ
गिरिडीह : विश्वप्रसिद्ध पर्यटनस्थल के रूप में मधुबन-पारसनाथ को पहचान दिलाने की सरकार की कोशिशों से अलग यहां मलेरिया का प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। मधुबन में सैकड़ों डोली मजदूर सहित आसपास की पंचायतों की आबादी इस रोग से त्रस्त है। यहां मामूली बुखार होने पर डॉक्टर पहले मलेरिया की दवा देकर ही उपचार शुरू करते हैं।
पीरटांड़ प्रखंड का यह क्षेत्र पूरे देश सहित विश्वभर के जैन श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्रबिन्दु रहा है। पारसनाथ पहाड़ से सटी पंचायतों में स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से नयी पहल की जा रही है। इसमें रोगग्रस्त मरीजों के इलाज के अलावा मलेरिया से बचाव के लिए जागरूक करने की कोशिश भी शामिल है।
बीते 11 अप्रैल को मधुबन में राज्य के मुख्य सचिव राजीव गौआ के दौरे में स्थानीय लोगों ने राज्य प्रशासन को यहां की समस्या से अवगत कराया था। इसमें मलेरिया को लेकर लोगों ने चिंता प्रकट की थी। जनसंवाद कार्यक्रम में मलेरिया से संबंधित जनशिकायतों को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव ने जिला प्रशासन को इस दिशा में त्वरित कार्रवाई का निर्देश भी दिया था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मधुबन में बाहरी सैलानियों से मलेरिया पारासाइट का प्रसार तेजी से हो रहा है। इसके अलावा मधुबन सहित पीरटांड़ के सुदूर गांवों में जलजमाव और गंदगी से मलेरिया का मच्छर पैदा होता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूर्व में मच्छरदानी का वितरण भी किया गया है। इस बार डोली मजदूरों के बीच इसके वितरण की योजना बनायी गयी है।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पीरटांड़ प्रखंड में बीते तीन वर्षो के दौरान रक्त नमूना में औसतन 40 फीसद एमपी पॉजीटिव के मामले सामने आए। स्वास्थ्य उपकेंद्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मलेरिया की दवा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने का दावा किया गया है।
''पारसनाथ और मधुबन क्षेत्र को मलेरिया से मुक्त करने के लिए डीडीटी का छिड़काव सहित बचाव के लिए कई उपायों पर विचार किया जा रहा है। बीते सोमवार को जिला प्रशासन के साथ पारसनाथ डवलपमेंट प्लान पर हुई चर्चा के दौरान मलेरिया जोन में समेकित कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत अभी वहां इलाज, बचाव और जागरूकता तीन चरण में पहल शुरू की गयी है।
- डॉ. एस सन्याल, सिविल सर्जन, गिरिडीह