पारसनाथ स्टेशन पर सुविधाओं का टोटा
संवाद सहयोगी, निमियाघाट (गिरिडीह) : निमियाघाट-गिरिडीह व गया-आसनसोल रेलखंड में स्थित पारसनाथ स्टेशन प
संवाद सहयोगी, निमियाघाट (गिरिडीह) : निमियाघाट-गिरिडीह व गया-आसनसोल रेलखंड में स्थित पारसनाथ स्टेशन पूर्व-मध्य रेलवे में प्रमुख स्टेशन में से एक है, लेकिन यात्री सुविधाओं के नाम पर टोटा लगा है। सुविधाओं के अभाव में यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है, लेकिन विभाग का ध्यान इस ओर नहीं है।
बताते हैं कि पारसनाथ स्टेशन से प्राप्त आय के समक्ष धनबाद, गोमो, कोडरमा जैसे स्टेशन भी कमजोर पड़ जाते है। यहां यात्रियों का आना-जाना वर्ष भर लगा रहता है और अब तो तीर्थ क्षेत्र मधुबन के लिए सैकड़ों यात्री प्रतिदिन आते-जाते रहते हैं। रातभर स्टेशन रोड यात्रियों की भीड़ और छोटी-बड़ी बस की आवाज से गूंजती रहती है। वहीं यहां स्टेशन की परिधि और आवश्यक संसाधनों का अभाव साफ-साफ दिखता है। सबसे पहले आपका ध्यान इसके छोटे पार्किग क्षेत्र पर टिक जाएगा, जहां जगह की कमी के कारण दर्जनों गाड़ियां बेतरतीब जहा-तहां लगी रहती हैं। इसी तंग जगह में बड़ी बसें, मध्यम आकार के यात्री वाहन, ऑटो, निजी कारें मिला जुलाकर कभी-कभी सैकड़ों की तादाद में इकट्ठे हो जाते हैं। ये वाहन इस कदर फंस जाते हैं कि उनका स्टैंड से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। स्थान के अभाव में सड़कों पर बहुत सी गाड़ियां लोगों के दरवाजे पर खड़ी मिलेंगी, जिससे पैदल यात्रियों की परेशानी बढ़ती है। विशेषकर स्टेशन में प्रवेश करने वाले लोगों को पार्किग से होकर गुजरने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में जब स्टेशन पर एक-दो ट्रेनें अप-डाउन लाइन पर एक साथ आ लगती हैं तो उनसे उतरने वाले सैकड़ों यात्री तंग पुल फुट ओवर ब्रिज से होकर बाहर आने के लिए गुजरते हैं। इस दौरान ब्रिज पर एक कदम चलना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ट्रेन पकड़ने वाले लोगों पर दोहरी मार हो जाती है। एक तो पार्किग में गाड़ियों का मेला। दूसरा फुट ओवर से होकर उतरने वाले लोगों का ट्रेन निश्चित रूप से छूट जाना ही उनकी नियति होती है।
इस बाबत स्टेशन अधीक्षक बी दूबे ने बताया कि कई बार इन इस समस्या वरीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है और ब्रिज का चौड़ीकरण की माग भी रखी गई है। रेल प्रबंधन संसाधन के मुताबिक हर संभव यात्रियों को सुविधा देने में तत्पर है।