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वैज्ञानिक मानकों पर होगी खेती की परख

गिरिडीह : जिले के लगभग पौने दो लाख किसानों की पारंपरिक खेती को अब वैज्ञानिक मानकों पर परखने की तैया

By Edited By: Published: Sat, 21 Feb 2015 06:05 PM (IST)Updated: Sat, 21 Feb 2015 06:05 PM (IST)
वैज्ञानिक मानकों पर होगी खेती की परख

गिरिडीह : जिले के लगभग पौने दो लाख किसानों की पारंपरिक खेती को अब वैज्ञानिक मानकों पर परखने की तैयारी शुरू कर दी गयी है। इसमें मिट्टी जांच व सिंचाई मानकों को आधार बना कर खेती को लाभकारी बनाने की योजना है। केंद्र सरकार की ओर से बीते दिनों राजस्थान से इसकी शुरुआत की गयी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड को लेकर किसानों को नया नारा दिया है - स्वस्थ धरा तो खेत हरा।

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कृषि विभाग और आत्मा के संयुक्त प्रयास से मिट्टी जांच व सिंचाई मानकों की नयी प्रक्रिया को पारंपरिक खेती पर लागू करने की तैयारी की गयी है। बीते दिनों इस मसले पर किसानों को जागरूक करने के लिए पीएम के कार्यक्रम को प्रोजेक्टर के माध्यम से लाइव टेलीकास्ट भी कराया गया।

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निश्शुल्क बनेगा स्वास्थ्य कार्ड :

केंद्र व राज्य सरकारों के अंशदान से जिले के किसानों को निश्शुल्क मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड मुहैया कराया जाएगा। इसके लिए किसानों को मिट्टी का नमूना कृषि विभाग को देना होगा। इसमें तत्काल नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटास व मिट्टी की अम्लीयता व क्षारियता की जांच होगी। इस आधार पर परखी गयी मिट्टी में अधिक पैदावार वाली खेती की अनुशंसा कृषि विज्ञानियों की ओर से की जाएगी।

किसानों को अपने खेत से पांच अलग अलग स्थानों से मिट्टी लेनी होगी। जमीन के उपरी सतह को हटाकर इसमें नौ इंच गहरा गढ्डा खोद कर मिट्टी संग्रहित की जाएगी। ऐसा पांच अलग अलग स्थानों में किया जाना है। अब सभी स्थानों की मिट्टी को मिलाकर नमी को छांव में सुखाना है। फिर उसे बारी बारी से दो भाग में पृथक पर संग्रहित मिट्टी को आधा किग्रा वजन के साथ कृषि विभाग को सौंपना है। संबंधित किसान नमूने पर अपना नाम व पता तथा खेत व जमीन की विवरणी अंकित कर टेग लगा दें। उक्त नमूने को विभाग अपनी प्रयोगशाला में जांच करेगा और उसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

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सिंचाई मानकों पर नया प्रयोग :

केंद्र सरकार ने मिनी स्ट्रीम्पलर व ड्रीप सिस्टम (टपक विधि) से सिंचाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए किसानों को ऐसी उपकरण मुहैया कराने का निर्णय लिया है। इसमें उपकरण में 85 फीसद तक सरकार ने अनुदान की घोषणा भी कर रखी है। इस विधि से सिंचाई करने पर पानी की खपत कम होगी। आम तौर पर पारंपरिक खेती में सिंचाई के दौरान पचास से सत्तर फीसद तक पानी बर्बाद हो जाता है। वहीं टपक विधि से सिंचाई करने पर एक बूंद पानी के व्यर्थ नहीं होने का दावा किया जाता है। हालांकि सरकार इसके लिए अब तक विभाग को आवंटन नहीं दी है। बताया जाता है कि द्वितीय अनुपूरक बजट में इसका प्रावधान किया गया है।

-जिले में तत्काल 194 किसानों की मिट्टी जांच रिपोर्ट तैयार है। जागरूकता को लेकर कृषि विभाग और आत्मा की ओर से सुदूर गांवों में किसान क्लबों के माध्यम से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड और टपक विधि से सिंचाई करने पर पारंपरिक खेती में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव है। - विजय कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी।


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