अमेरिकी निशाबेन बनीं साध्वी संवेगप्रज्ञा श्रीजी
मधुबन (गिरिडीह) : भौतिकता व अर्थ प्रधान परिवेश, तरह-तरह के आभूषण व रंग-बिरंगे वस्त्रों से सुसज्जित
मधुबन (गिरिडीह) : भौतिकता व अर्थ प्रधान परिवेश, तरह-तरह के आभूषण व रंग-बिरंगे वस्त्रों से सुसज्जित रहने तथा हवाई यात्रा करने वाली न्यूयार्क निवासी निशा बेन ने न केवल आजीवन श्वेत वस्त्र धारण करने और पैदल चलने का संकल्प लिया, बल्कि साधु जीवन अपनाकर भक्तिमार्ग पर अग्रसर हो गई। मधुबन स्थित तलेटी तीर्थ में रविवार को दीक्षा कार्यक्रम में अमेरिकी युवती ने सांसारिक जीवन त्याग कर साधु जीवन अपना लिया।
बताया जाता है कि तेलटी तीर्थ में आचार्य श्री कीर्तियश सूरी जी महाराज के सान्निध्य में दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मुमुक्षु निशा बेन ने दीक्षा ग्रहण कर संन्यासी जीवन अपनाने की प्रतिज्ञा ली। इस दौरान कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
मौके पर कार्यक्रम स्थल को बेहतर ढंग से सजाया संवारा गया था। कार्यक्रम की शुरुआत देव वंदना से की गयी। इस क्रम में जिन पूजा व स्मरण पाठ किया गया। उसके बाद मुमुक्षु निशा बेन गाजे-बाजे के साथ दीक्षा स्थल पहुंची, जहा कई धार्मिक विधिया पूरी की गयीं।
आचार्य कीर्तियश सूरी जी महाराज ने साधु का एक महत्वपूर्ण उपकरण 'ओघा' प्रदान किया। ओघा पाते ही मुमुक्षु खुशी से झूम उठीं। उसके बाद उसने संन्यासी वेश धारण किया। कुछ देर के बाद वह फिर दीक्षा स्थल पहुंचीं जहां उनके दीक्षा जीवन का नूतन नाम स्थापित किया गया। उनका सांसारिक नाम निशाबेन से बदलकर साध्वी संवेगप्रज्ञा श्रीजी महाराज कर दिया गया। वह साध्वी प्रसमिता श्रीजी महाराज की 75वीं शिष्य प्रशिष्या बनीं। जहा एक ओर दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया, दूसरी ओर 'अवेकनिंग द बाल आत्मा' नामक अंग्रेजी पुस्तक का विमोचन किया गया। साथ ही कार्यक्रम में शरीक हुए हर एक परिवार को 'द जैन सागा' भेंट किया गया। आचार्य कीर्तियश सूरीजी महाराज ने साधु जीवन की महत्ता पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न जगहों के अलावा न्यूयार्क, बेल्जियम, कनाडा, लंदन आदि जगहों से भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।