मधुबन में बीएसएनएल सेवा चरमराई
संवाद सूत्र, मधुबन (गिरिडीह) :
कनेक्टिंग इंडिया का दावा करनेवाले बीएसएनल की व्यवस्था इन दिनों मधुबन में लचर हो गयी है। कभी मोबाइल के स्क्रीनसे नेटवर्क का गायब हो जाना, ब्राडबैंड उपभोक्ताओं को लिंक नहीं मिलना, लैंडलाइन धारकों का रह-रह कर तार टूट जाना आम बात हो गयी है। लिहाजा उपभोक्ताओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं के कारण तकनीकी गड़बड़ी और मैन पावर की कमी बतायी जा रहा है।
बताया जाता है कि मधुबन एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यहां सालों भर तीर्थ यात्रियों का आवागमन जारी रहता है। बावजूद यहां भारत संचार निगम लिमिटेड की सेवा काफी लचर है। ब्राडबैंड व थ्री जी के साथ-साथ टू जी की स्थिति भी काफी दयनीय है। सबसे खराब स्थिति लैंडलाइन की है। बताते हैं कि शुरुआती दौर में मधुबन टेलीफोन एक्सचेंज के अंतर्गत लगभग 200 लैंडलाइन कनेक्शन थे, परन्तु अब इसकी संख्या 40 के लगभग हो गयी है। हालांकि इसका एक और कारण मोबाइल का व्यापक रूप से इस्तेमाल करना बताया जाता है। वहीं ब्राडबैंड की सुविधा भी काफी लचर है। एक दिन लिंक मिलता है तो दो दिन तक गायब रहता है या फिर आते जाते रहता है। बताया जाता है कि ज्यादातर ब्राडबैंड का इस्तेमाल संस्थाओं या फिर व्यवसायियों द्वारा किया जाता है। पोस्ट आफिस और अन्य सरकारी कार्यालयों में भी इसका उपयोग किया जाता है। परन्तु सुचारू रूप से लिंक नहीं मिलने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बताते हैं कि ब्राडबैंड सीधे हजारीबाग कार्यालय से संचालित होता है। यही वजह है कि स्थानीय स्तर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। बीएसएनएल ने 3 जी सुविधा दे रखी है पर यह भी रह-रह कर बंद ही मिलता है।
इस बाबत गिरिडीह जेटीओ रितेश प्रसाद ने बताया कि मधुबन में थ्री जी का लिंक गिरिडीह स्थित पचंबा टावर द्वारा दिया जा रहा है। वहां का टावर बंद रहने से यहां की 3 जी प्रभावित हो जाती है। बताते हैं कि पचंबा का टावर केवल बिजली के भरोसे चलता है। वहीं मधुबन एक्सचेंज के प्रभारी राम वचन सिंह ने कहा कि एक तो तकनीकी कमी के कारण परेशानी आती है, वहीं यहां मैन पावर की भी कमी है। आदमी न होने के कारण जल्द ही किसी समस्या को दूर नहीं किया जा सकता है। पूरे मधुबन में सिर्फ एक व्यक्ति से सिस्टम दुरुस्त रखना मुश्किल है। कहते हैं कि वे हर समय एक्सचेंज स्तरीय समस्याओं को दूर करने के लिए तत्पर रहते हैं।