कंप्यूटर सीखने के सपनों पर लगा ग्रहण
ज्ञान ज्योति, गिरिडीह
जिले के कस्तूरबा विद्यालयों में अध्ययनरत हजारों गरीब छात्राओं के कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त करने के सपनों पर ग्रहण लग गया है। विद्यालयों में लाखों की लागत से कंप्यूटर और अन्य उपकरण तो दिए गए हैं, लेकिन शिक्षक के अभाव में कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। हालांकि कई विद्यालयों में कंप्यूटर का उपयोग वेब लर्निग के लिए किया जा रहा है।
-2008 में हुई थी शुरुआत : जिले के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में वर्ष 2008 में कंप्यूटर की पढ़ाई प्रारंभ हुई थी। झारखंड शिक्षा परियोजना ने अनुबंध के आधार पर एडुकॉम नामक कंपनी को यह जिम्मेवारी सौंपी थी। कंपनी ने कस्तूरबा विद्यालयों में आवश्यकतानुसार कंप्यूटर सहित अन्य उपकरण उपलब्ध कराते हुए कंप्यूटर की पढ़ाई शुरू की थी। इसके लिए विद्यालयों में एक-एक शिक्षक भी बहाल किए गए थे।
तीन साल तक हुई पढ़ाई : कस्तूरबा विद्यालयों की शिक्षिकाओं का कहना है कि उक्त कंपनी ने तीन साल 2011 तक कंप्यूटर की पढ़ाई छात्राओं को करायी। इसके बाद पढ़ाई बंद हो गयी और शिक्षक वापस चले गए। इसकी वजह कंपनी के साथ हुए करार की अवधि समाप्त होना बतायी गयी। बताया कि तीन वर्षो में प्रत्येक विद्यालय में 500-600 छात्राओं ने कंप्यूटर की शिक्षा ग्रहण की। डुमरी कस्तूरबा विद्यालय की वार्डेन कुमारी रंजीता ने बताया कि उनके यहां कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो रही है, लेकिन वेब लर्निग में कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा अन्य विद्यालयों में भी कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं होने की बात कही गयी। कई वार्डेन ने बताया कि विभाग की ओर से कस्तूरबा की शिक्षिकाओं को ही कंप्यूटर का प्रशिक्षण लेकर इसकी पढ़ाई शुरू करने की बात कही जा रही है, जो संभव नहीं है। बेंगाबाद कस्तूरबा की वार्डेन संगीता सिंह ने कहा कि उनके यहां कंप्यूटर की पढ़ाई बंद है। कंप्यूटर का उपयोग पठन-पाठन में अपने स्तर से थोड़ा-बहुत किया जाता है।
पढ़ायी में होना है कंप्यूटर का उपयोग : सर्व शिक्षा अभियान के एपीओ अभिनव सिन्हा ने बताया कि कस्तूरबा विद्यालयों में पढ़ाई में कंप्यूटर का उपयोग किया जाना है, जो हो रहा है। विद्यालयों में होने वाली आनलाइन पढ़ाई में कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। बताया कि एडुकोम कंपनी के साथ झारखंड शिक्षा परियोजना ने तीन साल के लिए एमओयू किया था। इस दौरान कंपनी की ओर से विद्यालयों में कंप्यूटर की पढ़ाई करायी गयी। इसके बाद कंप्यूटर एवं अन्य उपकरण विद्यालयों को हस्तगत कर दिए गए।
वर्जन
कस्तूरबा विद्यालयों में कंप्यूटर का उपयोग हो रहा है। वेब लर्निग के माध्यम से छात्राओं की ऑनलाइन पढ़ायी करायी जा रही है, जिसमें कंप्यूटर का उपयोग होता है। इससे छात्राएं लाभान्वित हो रही हैं। कहीं भी कंप्यूटर बेकार नहीं पड़ा है।
-महमूद आलम, डीएसई सह डीपीओ।