आजसू ने किया विशेष राज्य के दर्जे का शंखनाद
प्रमोद चौधरी, मधुबन (गिरिडीह)
अखंड बिहार में अलग झारखंड राज्य के लिए कई दिनों तक झारखंड में आर्थिक नाकेबंदी कर अपनी राजनीति पहचान बनाने वाली राजनैतिक पार्टी आल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) ने झारखंड उदय के बाद (कोड़ा सरकार व मौजूदा हेमंत सरकार) दूसरी बार सत्ता से बेदखल होते ही राज्य के दो अहम मुद्दों के बूते भावी चुनाव में सत्ता में पहले से ज्यादा दमदार भागीदारी का यहां मजबूत दावा केंद्रीय कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक के पहले दिन ठोंक दिया है। इन दो अहम मुद्दों में झारखंड राज्य को बतौर आर्थिक विशेष राज्य का दर्जा दिलाने व झारखंड, प. बंगाल, उड़ीसा व छत्तीसगढ़ को लेकर वृहद झारखंड के गठन की मांग शामिल है। पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो ने शनिवार को यहां बैठक के पहले दिन स्पष्ट भी कर दिया कि झारखंडियों के हित में ये दोनों मांग को केंद्र सरकार से पूरी करवाने को लेकर आजसू बड़ा से बड़ा आंदोलन करने को कटिबद्ध है।
अलबत्ता, मधुबन में केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक संपन्न होने के बाद आजसू सुप्रीमो व पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो ने पत्रकारों के बीच घोषणा की कि बैठक में चार प्रस्ताव पारित किए गए है। पर घंटे भर के वार्ता में उनका फोकस संबद्ध दो ही मुद्दों पर रहा। बाद में अन्य दो मुद्दों को चलते-चलते चर्चा कर गए कि झारखंड में विधानसभा सीट बढ़ाकर 162 होनी चाहिए व विधान परिषद का भी गठन होना चाहिए ताकि राज्य के बुद्धिजीवियों को परिषद में अहमियत मिल सके।
बहरहाल राज्य को विशेष दर्जा व वृहद झारखंड की मांग को लेकर आंदोलन के भावी स्वरूप से जुड़े सवाल को उन्होंने मौके पर यह कहते हुए टाल दिया कि केंद्रीय समिति प्रस्ताव ली है, अब राज्य स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में उसे रखा जाएगा फिर अगले दिन आंदोलन के स्वरूप की घोषणा की जाएगी। लेकिन यह आंदोलन झारंखड अलग राज्य से भी बढ़चढ़कर होगा।
एक अन्य सवाल पर महतो ने सफाई दी कि वे जब से सरकार में थे, हर वक्त केंद्र सरकार व विधानसभा के सदन में झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग उठाते रहे हैं। भले अब तक उसका फलाफल न निकाला हो। उन्होंने झारंखड को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने से संबंधित दावा भी किया कि यह राज्य इस मुदद्े पर सभी अहर्ताओं को पूरा करता है। मसलन, राज्य के 70 लाख परिवारों में 35 लाख परिवार गरीबी रेखा के नीचे है, सीसीएल, बीसीसीएल व सीआइएल का मुख्यालय अपने राज्य में नहीं है जबकि देश के 31 फीसद कोल भंडार व 27 फीसद लौह अयस्क झारखंड में है। देश की तूलना में 30 फीसद से अधिक वन भूमि झारखंड में है। फिर भी इसके उपयोग का सीधा अधिकार न राज्य सरकार को है न यहां की जनता को। लाभ ले रहा है केंद्र सरकार। इतना ही नहीं 2700 करोड़ का राजस्व देने वाला इस राज्य का 22 जिला पिछड़ेपन को लेकर उग्रवाद से प्रभावित है। ऐसे में जनता की आकांक्षा है कि आजसू विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए चरणबद्ध आंदोलन करे। इस आंदोलन का स्वरूप क्या होगा यह पार्टी रविवार को घोषणा करेगी।
वृहत झारखंड की मांग को लेकर पार्टी सुप्रीमो ने स्पष्ट किया कि लोक सभा चुनाव में आजसू बगैर किसी पार्टी से तालमेल कर चुनाव लड़ेगी। झारखंड की 14 समेत प. बंगाल, उड़ीसा व छत्तीसगढ़ की कुल 24 सीटों पर आजसू स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी। विधानसभा चुनाव में तालमेल का क्या स्वरूप होगा यह कार्यकर्ताओं की राय के बाद अगले दिन घोषणा की जाएगी।
महतो ने पारित अन्य दो प्रस्ताव के बारे में कहा कि झारखंड की विधानसभा की सीट बढ़ाकर 162 होने के अलावा विधान परिषद का गठन करवाने को आजसू कटिबद्ध है। मौके पर उनके साथ पांच अन्य विधायकों के अलावा प्रवीण प्रभाकर, डा. देवशरण भगत, जिलाध्यक्ष नारायण पांडेय,गुलाम हसनैन पप्पू, रामाशीष राय, अशोक मंडल, प्रदीप हाजरा, शंकर यादवा, गुड्डू यादव, मनोज साहू आदि थे।
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