जिले में नहीं बनी कोई नई सिंचाई योजना
गढ़वा : कृषि को बढ़ावा देने की सरकार दंभ तो भरती है। मगर ¨सचाई की व्यवस्था कराने में दिलचस्पी नहीं द
गढ़वा : कृषि को बढ़ावा देने की सरकार दंभ तो भरती है। मगर ¨सचाई की व्यवस्था कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। झारखंड गठन के बाद जिले में एक भी वृहद तथा मध्यम ¨सचाई योजना को पूर्ण नहीं किया गया है। एक मात्र वृहद ¨सचाई योजना कनहर ¨सचाई योजना है जो कई दशकों से अधर में लटकी हुई है। यहां के किसान हर साल अकाल और सुखाड़ का दंश झेल रहे हैं। जिले में कृषि व्यवस्था पूरी तरह बरसात पर निर्भर है।
जल पथ प्रमंडल गढ़वा से मिली जानकारी के अनुसार 1990 से लेकर अब तक एक भी वृहद ¨सचाई योजना नहीं बनाया गया है। जिले के विभिन्न प्रखण्डों में करीब चौदह मध्यम ¨सचाई योजना हैं। ये सभी झारखंड बनने के पूर्व की हैं। जिसमें गढ़वा में अनराज जलाशय योजना, धुरकी में दानरो जलाशय योजना, बाई बांकी जलाशय योजना, विशुनपुरा बाई बांकी ¨सचाई योजना, बभनीखांड जलाशय योजना, कवलदाग ¨सचाई योजना, चिनियां में चिरका जलाशय योजना आदि शामिल हैं। सिर्फ लघु ¨सचाई योजना के तहत चेकडैम, आहर व तालाब का निर्माण कराकर कोरम पूरा किया जाता है। इन लघु ¨सचाई योजना का समुचित लाभ भी किसानों को नही मिल रहा है। जन प्रतिनिधियों तथा जिला प्रशासन का उदासीनता के कारण कृषि योग्य भूमि तक ¨सचाई के लिए पानी पहुंचाने की पूर्ण व्यवस्था तक नहीं की गई। सरकारी आंकड़े के अनुसार जिले में करीब एक लाख 84 हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। जबकि जिले का चार लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल है। मगर हैरानी की बात यह है कि एकीकृत बिहार से लेकर झारखंड राज्य गठन के पंद्रह वर्ष बाद भी महज 39 हजार कृषि योग्य भूमि में ही ¨सचाई के लिए व्यवस्था की गई है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मध्यम ¨सचाई योजना में एक मात्र ¨सचाई योजना धुरकी प्रखंड में डोमनी बराज योजना निर्माण का अंतिम रूप दिया गया है। जिसका निर्माण कार्य एक-दो माह में शुरू कर दिया गया। इस योजना का निर्माण के लिए एकरारनामा भी हो चुका है। इधर, सिंचाई विभाग का कार्यालय भी बदहाल है। कई वर्षो से इसका रंग-रोगन नहीं हुआ है।
पक्ष
इस संबंध में संबंधित विभाग से जानकारी लेने के बाद ही कुछ कर सकूंगा। बगैर जानकारी लिए कुछ कहना संभव नहीं है।
ए मुथु कुमार, उपायुक्त, गढ़वा।