निर्माण के दो वर्ष में ही टूटने लगी स्टेशन रोड
गढ़वा : जिला मुख्यालय में मुख्य सड़कों की हालात खस्ताहाल है। जर्जर सड़कों के कारण गढ़वा की पहचान अविक
गढ़वा : जिला मुख्यालय में मुख्य सड़कों की हालात खस्ताहाल है। जर्जर सड़कों के कारण गढ़वा की पहचान अविकसित एवं पिछड़े जिले के रूप में बनती जा रही है। जर्जर सड़कों के कारण लोगों को आने जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिला मुख्यालय से गुजरने वाली एनएच 75 की स्थिति बद से बदतर है। वर्ष 2011 से अभी तक यह सड़क पूरी नहीं हो सकी है। उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ से आने वाले वाहन इसी मार्ग से होकर गुजरते हैं। इस कारण लोगों को काफी परेशान का सामना करना पड़ता है। रंका मोड़ से टंडवा जाने वाली सड़क की स्थिति खराब हो गई है। वहीं अपने निर्माण के दो वर्ष में ही स्टेशन रोड टूटने लगी है। इस सड़क में जगह-जगह गडढे बन आए हैं। ट्रेन पकड़ने स्टेशन जाने वाले यात्रियों को जर्जर सड़क के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
रिक्शा, ऑटो रिक्शा या अन्य वाहन में बैठे यात्रियों को हिचकोले खाते हुए चलना पड़ता है। बावजूद इसके इन सड़कों की मरम्मत की ओर प्रशासन का ध्यान नहीं है। जिला मुख्यालय में दिनों दिन सड़कों हालात बदतर ही होती जा रही है।
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लोगों की परेशानी पर ध्यान दे प्रशासन
शहर के रंका मोड़ से टंडवा जाने वाली सड़क की स्थिति काफी जर्जर हो गई है। इस कारण लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रशासन को चाहिए कि जल्द से जल्द इस सड़क की मरम्मत कराई जाए।
रूपेश कुमार
जिला मुख्यालय की सड़कों की हालात से हम लोग परेशान हैं। सड़क में बड़े बड़े गडढे बन आए हैं। वर्षा के दौरान इसमें पानी भर जाता है जिससे अचानक वाहन इस गड्ढे में चल जाते हैं। इससे दुर्घटना की संभावना बढ़ गई है। यदि जल्द इसकी मरम्मत नहीं कराई गई तो बड़ी दुर्घटना घट सकती है।
विष्णु कुमार
- जर्जर सड़कों से हमलोग परेशान हैं। मुख्य पथ, स्टेशन रोड आदि की हालात बदतर हो गई है। जल्द से जल्द इसकी मरम्मत होना चाहिए मगर इस दिशा में कोई प्रयास नहीं हो रहा है।
-शाहिद अंसारी
- एनएच 75 का निर्माण करने वाले संवेदक ने आम लोगों को परेशान करके रख दिया है। लगभग चार वर्ष से इसका निर्माण हो रहा है। मगर अभी तक इसका निर्माण पूरा नहीं हुआ है। जगह-जगह गड्ढे से लोग परेशान हैं। स्थिति ऐसी है कि प्रशासन के लाख दबाव के बावजूद संवेदक के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही।
मनोज कुमार