बांकी नदी के अस्तित्व को किया जा रहा खत्म
नगर उंटारी : बांकी नदी के उद्गम स्थल से लेकर बारोडीह गांव तक नदी का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है।
नगर उंटारी : बांकी नदी के उद्गम स्थल से लेकर बारोडीह गांव तक नदी का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है। नदी को पाटकर उसमें क्यारी बना दिया गया है। जिसमें खेती होती है। इधर बम्बा गांव से लेकर बारोडीह गांव तक बाकी नदी में करीब 21 लाख रुपये की लागत से पईन की मरम्मत मनरेगा से कराया जा रही है। पईन की चौड़ाई एक करीब 66 फीट है। कहीं-कहीं यह चौड़ाई करीब 82 फीट तक है। जबकि मरम्मती कार्य मात्र दस फीट चौड़ाई में ही किया जा रहा है। ग्रामीण कमलेश पांडेय, गदाधर पांडेय, अशोक ¨सह, विनय ¨सह के अनुसार बांकी नदी को पाटकर खेती की जा रही है। अब तो पईन की भूमि में भी खेती होगी। क्योंकि 66 व 82 फीट चौड़ा पईन नाला को मात्र दस फीट में समेट दिया जा रहा है। इस तरह कहीं 56 तो कहीं 72 फीट पईन की भूमि को इससे से अलग कर दिया जा रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि पहले पईन में बरसात के दिनों में चार से पांच फीट तक पानी बहता था। क्योकि यह गहरी थी, पर जीर्णोद्धार के नाम पर फीट से दो फीट गहरा भी नहीं बनाया जा रहा है। ऐसे में बरसात में तो पईन का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। पूर्व में इस पईन का पानी आसपास के खेतों को ¨सचित करते हुए पुरैनी तालाब व भजना आहर में जाता था। जिससे कृषि कार्य होता था। इस संबंध में मुखिया जमुना सेठ ने कहा कि पईन का जीर्णोद्धार मनरेगा योजना से कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य करीब 21 लाख रुपये की लागत से तीन पार्ट में कराया जा रहा है। सेठ ने कहा कि पईन की मरम्मत दस फीट में ही कार्य कराया जा रहा है। इसमें मैं क्या कर सकता हूं? उन्होंने बताया कि प्राक्कलन के अनुसार दस फीट चौड़ा पईन बनाना है। ग्रामीणों ने उपायुक्त गढ़वा से पूरे मामले की जांच कराकर बांकी नदी और पईन का को बचाने की मांग की है।