माओवादी जोनल कमांडर ने उगले कई राज
गढ़वा : जिला पुलिस तथा सीआरपीएफ-172 बटालियन के संयुक्त तत्वावधान में चलाए गए ऑपरेशन में भाकपा मा
गढ़वा : जिला पुलिस तथा सीआरपीएफ-172 बटालियन के संयुक्त तत्वावधान में चलाए गए ऑपरेशन में भाकपा माओवादी के गिरफ्तार इनामी नक्सली व जोनल कमांडर टीहू यादव उर्फ जगदीश यादव उर्फ जगदीश बूढ़ा ने पुलिस के समक्ष कई राज उगले हैं। उसे भंडरिया थाना क्षेत्र के कुल्ही जंगल से गिरफ्तार किया गया था।
उक्त बातें जिले के पुलिस कप्तान सुधीर कुमार झा ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में कहीं। उन्होंने कहा कि जगदीश यादव वर्ष 1994 से 2014 तक सक्रिय रूप से संगठन के लिए कार्य कर रहा था। उसके पास से पुलिस ने लेवी के एक लाख चौदह हजार रुपये नगद, एक देसी पिस्तौल, दो जिंदा कारतूस तथा दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद की है। गढ़वा, लातेहार व पड़ोसी राज्य छत्तसीगढ़ का रामचंद्रपुर थाना क्षेत्र इसका कार्य क्षेत्र था। फिलहाल वह लेवी की राशि वसूलने का काम कर रहा था। उस पर हत्या, रंगदारी, पुलिस के साथ मुठभेड़, विस्फोट करने आदि के अब तक 20 मामले दर्ज हैं। उसने 1994 से अब तक तीन दर्जन से अधिक कांडों में संलिप्तता स्वीकारी है। पुलिस अन्य मामलों में संलिप्तता की जांच कर रही है।
उन्होंने कहा कि नक्सली संगठन के केंद्रीय समिति के बीरसाय जैसे नक्सली के काफी करीबी है जगदीश यादव। एसपी ने कहा कि ऑपरेशन में शामिल सभी जिला पुलिस के पदाधिकारी व जवानों को पुरस्कृत किया जाएगा। जबकि सीआरपीएफ के पदाधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा। पत्रकार वार्ता में सीआरपीएफ कमांडेंट रविंद्र प्रसाद, सहायक समादेष्टा बी के सिंह आदि उपस्थित थे।
-एमसीसी से जुड़ा था जगदीश
चिनियां थाना के खूर्री गांव निवासी गिरफ्तार जगदीश यादव उर्फ जगदीश बूढ़ा 1994 में भूमि विवाद के कारण एमसीसी संगठन से जुड़ा था। इसके बाद से वह संगठन के लिए सक्रिय ढंग से कार्य करने लगा। इतना ही नही 2004 में एमसीसी व पीडब्ल्यू जी संगठनों के विलय का भी गवाह है। दोनों संगठनों का विलय भंडरिया थाना क्षेत्र के चौरगाड़ा जंगल में हुआ था। जब दोनों संगठनों के शीर्ष नक्सली शामिल थे। जगदीश यादव 2001 में डीएसपी अमलेश कुमार तथा 2012 में थाना प्रभारी राजबलि चौधरी समेत कई पुलिस कर्मियों को विस्फोट कर हत्या करने की घटना में शामिल रहा है।
-पुलिस को चकमा देकर बचता रहा जगदीश
जगदीश कोरवा पुलिस को चकमा देकर कई मर्तबा गिरफ्तार होने से बचता रहा है। कभी चारवाहा बन तो कभी मुठभेड़ के दौरान धीरे से पुलिस के आंख में धूल झोंक कर निकलने में सफल रहता था। उसकी गिरफ्तारी होने पर कुल्ही आदि गांवों के आसपास के ग्रामीण उसे देखने के लिए सड़क के दोनों ओर कतारबद्ध खड़े थे।
-संगठन से उब गया था : जगदीश
दो दशक से नक्सली संगठन में रहे जगदीश यादव संगठन से उब चुका था। बतौर जगदीश ऑपरेशन के दौरान पुलिस की भनक गांवों में आने की लग चुकी थी। उसके पास दो घंटे समय भागने के लिए था। मगर वह संगठन से उबने के कारण जंगल में अकेले ही भटकने लगा। इसी दौरान पुलिस की नजर उस पर पड़ी संदिग्ध व्यक्ति समझ कर पुलिस उसे पूछताछ करने लगी। नाम व पता के सत्यापन कर उसे गिरफ्तार किया गया।