8 वर्षो में भी पूर्ण नहीं हुआ विद्यालय भवन
सगमा : प्रखंड मुख्यालय में सभी विभाग को एक छत के नीचे लाने का जिला प्रशासन का सपना अब तक साकार नहीं हो सका। प्रखंड मुख्यालय स्थित भैया रुद्रप्रताप देव उच्च विद्यालय सगमा का विद्यालय भवन का निर्माण 8 वर्ष से लंबित है। विद्यालय भवन का शिलान्यास पूर्व मंत्री भानुप्रताप शाही ने पिछले वर्ष अगस्त 2007 में किया था। अभिकर्ता धमेंद्र यादव, हरिदर्शन यादव को दो कमरा बनाने के लिए तीन लाख रुपये, दिलीप यादव, राजेश बैठा को विज्ञान भवन बनाने के लिए दो लाख, अजय यादव को बरामदा के लिए एक लाख मिले थे। जबकि चंद्रेखर यादव को बेंच के लिए एक लाख का आवंटन दिया गया था। लेकिन सात वर्ष गुजर जाने के बाद सभी कार्य अधूरा पड़ा हुआ है।
-विद्यालय परिवार में तब थी खुशी
विद्यालय भवन बनाने के लिए पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही द्वारा सात लाख रुपये दिये जाने पर विद्यालय परिवार में तब खुशी थी कि अब इस विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पढ़ाई करने में कोई परेशानी नहीं आयेगी। लेकिन विभाग के पदाधिकारी व अभिकर्ताओं की लापरवाही के कारण इनके बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को विवश है।
-पढ़ाई करने लायक महज चार कमरे
भैया रुद्र प्रताप देव उच्च विद्यालय सगमा में वर्ग 8 से 10 तक का क्लास चलाई जाती है। 1056 छात्र-छात्राओं में से 386 छात्र और 670 छात्राओं के शिक्षा ग्रहण के लिए 7 कमरे हैं। पढ़ाई करने लायक महज चार कमरे ही ठीक ठाक है। शेष जर्जर अवस्था में है। कमरे खपरैल होने के कारण बरसात के दिनों में क्लास रूम में पानी गिरने लगता है। ऐसी स्थिति में छात्र-छात्राओं को बरामदे में या विद्यालय में जगह के अभाव में छुंट्टी भी कर देनी पड़ती है।
खबर छपने पर हुई थी अभिकर्ता पर नोटिस
दिसंबर-2011 में दैनिक जागरण में खबर छपने पर बीडीओ प्रभात कुमार ने सभी अभिकर्ताओं को नोटिस देकर शीघ्र कार्य पूरा कराने का निर्देश दिया था। लेकिन अभिकर्ताओं द्वारा कार्य नहीं कराया गया है।
-पक्ष
पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही ने अपने विधायक मद से अपने स्वार्थ के लिए अपने ही कार्यकर्ताओं को जिम्मेवारी दी थी, जो कार्यकर्ताओं ने इन भवनों को पूरा कराने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। आज खुले आसमान के नीचे बच्चे पढ़ने को विवश हैं।
जिप सदस्य नंदगोपाल यादव, सगमा।
पक्ष----
भवन बनाने में सामग्री की कीमत कई गुणा बढ़ गई है। इससे काफी नुकसान हो रहा है। इस कारण भवन और बेंच बनाने में असमर्थ हूं।
अभिकर्ता धर्मेद्र यादव, चंद्रशेखर यादव एवं सहयोगी।