डॉक्टरों की हर गतिविधि पर नजर रखेगा धावा दल
दुमका : ड्यूटी के बाद अपने निजी क्लीनिक में मरीज को देखना आसान नहीं होगा। सदर अस्पताल के व
दुमका : ड्यूटी के बाद अपने निजी क्लीनिक में मरीज को देखना आसान नहीं होगा। सदर अस्पताल के वैसे चिकित्सक जिनका निजी क्लीनिक है, उन डॉक्टरों पर नजर रखने के लिए धावा दल का गठन किया जाएगा। दल में डॉक्टर के अलावा प्रशासन के पदाधिकारी को शामिल किया जाएगा। दल के सदस्य डॉक्टरों की हर गतिविधि पर नजर रखेंगे। सरकार से आदेश मिलते ही दल का गठन किया जाएगा।
दरअसल सदर अस्पताल की कार्यशैली से हर कोई वाकिफ है। यहां कार्यरत अधिकांश डॉक्टरों का अपना निजी क्लीनिक है। ओपीडी में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद अधिकांश किसी न किसी बहाने निजी क्लीनिक के लिए निकल जाते हैं। पूछने पर कई तरह के बहाना बना देते हैं। कई बार निरीक्षण में यह बात सामने आ चुकी है। यहां तक स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष कुमार की शिकायत मुख्य सचिव तक पहुंच चुकी है। डॉक्टरों की इसी उदासीनता के बाद सरकार ने अब धावा दल का गठन करने का निर्णय लिया है। पिछले माह मुख्य सचिव के आदेश पर दुमका आए उपनिदेशक जेपी ¨सह ने इस मामले में जांच की थी। उनके सामने भी यह बात उठी थी कि अधिकांश डॉक्टर उपस्थिति बनाकर निजी क्लीनिक चले जाते हैं। कुछ तो खानापूíत के लिए अस्पताल आते हैं। कई बार प्रशासन भी निरीक्षण के क्रम में डॉक्टरों को ड्यूटी ऑवर में अस्पताल में नहीं पाया।
धावादल किस प्रकार करेगा काम
दल के सदस्य यह देखेंगे कि ड्यूटी के समय अस्पताल के सारे डॉक्टर हैं या नहीं। अगर नहीं हैं तो कहां हैं। दल के सदस्य अनुपस्थित डॉक्टर के निजी क्लीनिक में जाकर यह देखेंगे कि कहीं वे ड्यूटी के बाद भी मरीज को तो नहीं देख रहे हैं। उनके पूरे दिन की गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। अस्पताल में हैं तो क्या कर रहे हैं।
सरकार ने डॉक्टरों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए धावा दल बनाने का आदेश दिया है। अभी तक किसी तरह का लिखित आदेश नहीं मिला है। इसमें किस को शामिल करना है यह भी नहीं बताया गया है। सरकार से आदेश मिलते ही धावा दल का गठन कर दिया जाएगा।
डॉ. जगत भूषण प्रसाद, सिविल सर्जन, दुमका
कौन होगा दल में शामिल
दल में अस्पताल के तीन डॉक्टर के अलावा प्रशासन के पदाधिकारियों को शामिल किया जाएगा। डॉक्टर के शामिल रहने के कारण प्रशासन अगर कोई कार्रवाई करता है तो डॉक्टर उसे झुठला नहीं सकेंगे। पिछले साल अनुपस्थित तीन डॉक्टरों पर कार्रवाई के बाद जिस तरह से संघ मैदान में उतरा था, उसे देखते ही दल में डॉक्टरों को शामिल करने का निर्णय लिया गया है।