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जुगाड़ तकनीक पर चल रहा सरैयाहाट सीएचसी

सरैयाहाट : सरकार के लाख दावे के बाद भी सरैयाहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों की कमी के

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Jun 2017 08:18 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jun 2017 08:18 PM (IST)
जुगाड़ तकनीक पर चल रहा सरैयाहाट सीएचसी
जुगाड़ तकनीक पर चल रहा सरैयाहाट सीएचसी

सरैयाहाट : सरकार के लाख दावे के बाद भी सरैयाहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों की कमी के कारण लोग स्वास्थ्य सेवा से वंचित हैं। लोगों को मजबूरीवश झोलाछाप डॉक्टरो का सहारा लेना पड़ता है। वहीं गंभीर मरीजों के परिजनों को देवघर की दौड़ लगानी पड़ती है। हाल के दिनों में उपायुक्त मुकेश कुमार द्वारा सीएस को विभाग में सभी का प्रतिनियोजन समाप्त कर मूल स्थान में योगदान कराने का निर्देश दिया था। आदेश का अनुपालन यहां नहीं हुआ है। जानकारी के अनुसार यहां कुल सात पद चिकित्सक के लिए सृजित हैं। इसमें मात्र दो चिकित्सक एक प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ऐके दास एवं डॉ. संगीता टोप्पो नियुक्त हैं। उसमें से डॉ. टोप्पो सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त हैं। एक ही डॉक्टर के भरोसे केंद्र चल रहा है। स्वास्थ्यकर्मी राजकुमार मंडल ने भी प्रतिनियोजन सदर अस्पताल में करा लिया है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को भी परेशानी हो रही है। यही नहीं यहां एक भी महिला चिकित्सक नहीं है। जिससे महिला मरीजों को इलाज कराने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। हालांकि सरैयाहाट संवेदनशील प्रखंड रहने के कारण जामा सीएचसी के डॉ. ओमप्रकाश एवं हंसडीहा के डॉ. विमल कुमार के सरैयाहाट में प्रतिनियोजन करने से थोड़ी राहत है। फिर भी सरैयाहाट सीएचसी से जो स्वास्थ्य सुविधा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही हैं। लोगों की मानें स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिया गया। अस्पताल का बोर्ड बदल गया, बडे़ बड़े भवन का निर्माण कराया गया लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं नही बदली। सीएचसी का दर्जा मिलने बाद भी मात्र छह बेड की सुविधा है। इसके ही अन्य सुविधा जीरो है। जिससे लोग मायूस हैं। यहां के लोगों ने चिकित्सक के पद को भरने का मांग की है।

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प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ऐके दास ने बताया कि डॉक्टर सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है। किसी तरह मैनेज कर चल रहे हैं। एनएच 133 मार्ग होने के कारण सड़क दुर्घटना के साथ साथ जमीन विवाद में मारपीट में घायल आते हैं। स्टाफ एवं चिकित्सकों की कमी के कारण प्राथमिक उपचार कर बाहर रेफर करना मजबूरी हो जाती है।


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