जेल जाने को तैयार रहें छात्र : बाबूलाल
दुमका : जब सरकार गलत निर्णय लेती है तो मजबूरन आम जनता को सड़क पर उतरना पड़ता है। झारखंड बंद के दौरान व
दुमका : जब सरकार गलत निर्णय लेती है तो मजबूरन आम जनता को सड़क पर उतरना पड़ता है। झारखंड बंद के दौरान वाहनों में हुई आगजनी व तोड़फोड़ में निर्दोष छात्रों को फंसाया जा रहा है। छात्र इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह बात मंगलवार को झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने छात्रावास में छात्रों से मुलाकात के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र के इशारे पर काम कर रही है। सिर्फ उद्योगपति को जमीन देने के लिए यह सब किया जा रहा है, यदि इसका विरोध अभी नहीं किया तो आने वाले दिनों में आदिवासियों व मूलवासियों को झारखंड से बाहर जाना पड़ेगा। छात्रों से कहा कि थाना में कितनी पुलिस और थानेदार हैं। यदि गिरफ्तार छात्रों को जल्द रिहा कर प्राथमिकी वापस नहीं ली गई तो सभी छात्रों को जेल भरो अभियान के तहत जेल जाना है, पार्टी उनके साथ है। देखना है कि सरकार की जेल में कितनी जगह है। छात्रावास में 1200 छात्र रहने के लिए जगह है, लेकिन यदि 2500 रहते हैं तो सरकार को क्या परेशानी है। वे वापस में सहयोग से रहते हैं। मुख्यमंत्री छात्रों को गुंडा कहते हैं, यह भाषा उन्हें शोभा नहीं देती है। तीर-धनुष तो आदिवासियों का पंरपरागत अस्त्र है इससे सरकार को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
आदिवासियों की घट रही जनसंख्या
कहा कि देश के आजादी के बाद इस क्षेत्र में 36 फीसद आदिवासी रहते थे, लेकिन अभी इनकी जनसंख्या घटकर 26 हो गई है। यह आदिवासियों के साथ अन्याय नहीं तो और क्या है। इस तरह झारखंड में विधानसभा की सीटें जनसंख्या के आधार पर 28 से घटकर 23 हो जाएगी। तो क्या आदिवासियों की बातों को बाद में सुना जाएगा।
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एक्ट के लिए दिए बलिदान
बाबूलाल ने कहा कि एसपीटी व सीएनटी एक्ट यूं ही नहीं बना है, इसे बनवाने में न जाने कितने आदिवासी शहीद हो गए। सिदो-कान्हु, बिरसा मुंडा आदि ने काफी संघर्ष के बाद इसका निर्माण कराया। और सरकार कहती है कि एक्ट में संशोधन की जरूरत है। बाहरी मुख्यमंत्री इस राज्य का क्या हाल जानेंगे। वह झारखंड से ज्यादा छत्तीसगढ़ के बारे में जानते हैं।
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एक्ट विकास में बाधक नहीं
कहा कि यह एक्ट राज्य के विकास में कही भी बाधक नहीं है, नहीं तो राज्य में इतने रोड, डैम, कारखाना, खदान, स्कूल, अस्पताल आदि बन रहे है। गोड्डा में अडाणी के प्रस्तावित पावर प्लांट के लिए जमीन देने वाले प्रदूषण झेले और बिजली मिलेगी बांगलादेश को। यह कहां का न्याय है।
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दुमका के आदिवासियों को किया बदनाम
समाचार पत्रों व टीवी चैनलों में देखने से लगा कि दुमका के सभी आदिवासी बहुत बड़े अपराधी है। इस खबर को देश के सारे लोगों ने देखा। सरकार की मंशा थी कि यहां के छात्रों को बदनाम करना। जो उसने कर दिया, यह सब राज्य सरकार के इशारे पर किया गया है।