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भादो मेला के पहले दिन उमड़ी भीड़

बासुकीनाथ: मासव्यापी श्रावणी मेला का समापन शनिवार को होने के साथ रविवार से ही भादो मेला शुरू हो गया

By Edited By: Published: Sun, 30 Aug 2015 06:20 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2015 06:20 PM (IST)
भादो मेला के पहले दिन उमड़ी भीड़

बासुकीनाथ: मासव्यापी श्रावणी मेला का समापन शनिवार को होने के साथ रविवार से ही भादो मेला शुरू हो गया है। श्रावणी मेला समाप्त होने के बावजूद भी भक्तों के प्रवाह में थोड़ी बहुत ही कमी देखी जा रही है। भादो मेला के पहले दिन ही रविवार को देर शाम तक फौजदारी दरबार में करीब 20 हजार श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। बासुकीनाथ में साफा होड़ समुदाय के दर्जनों भक्तों ने पुजारी लुखो हेम्ब्रम एवं हेमलाल बास्की के नेतृत्व में अपनी विशिष्ट पूजा-पद्धति से भोलेनाथ एवं अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की। पुजारी लूखो हेम्ब्रम ने बताया कि उनके दल के लोगों ने सूल्तानगंज, बरारी घाट से गंगाजल लाकर भोलेनाथ को चढ़ाया। इस मौके पर समुदाय के सुमेन बास्की, हीरा मुर्मू, शिवलाल बास्की, मेघलाल मुर्मू, छोटकी हांसदा सहित अन्य मौजुद थे।

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भादो मेला के दौरान नहीं रहती पर्याप्त सुविधाएं

भादो मेला में भी श्रावणी मेला के मुकाबले भले ही कम श्रद्धालु यहां आते है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक भादो मेला के दौरान यहां अमूमन प्रतिदिन 20 हजार से लेकर 40 हजार तक श्रद्धालु जलार्पण के लिए आते है। बावजूद भादो मेला में सुविधाएं नगण्य रहती है। भादो मेला प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहता है। गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध अढ़ैया मेला भी भादो मेला के ही दौरान संपन्न होता है। जिसमें प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु यहां आते है। भादो मेला के यात्रियों को स्वास्थ्य विभाग, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का गुमशुदा तलाश केन्द्र समेत बिजली पानी की समस्या से रूबरू होना पड़ता है। बासुकीनाथ धाम पंडा धर्मरक्षिणी सभा के सदस्यों ने भादो मेला में भी यात्रियों के सुविधार्थ आवश्यक सुविधाओं के बहाली की मांग किया है।

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खेती कार्य से निजात पाकर भक्त पहुंचते बासुकीनाथ

भादो मेला के दौरान अंग प्रदेश, मिथिलांचल एवं कोशी क्षेत्र के भागलपुर, मुंगेर, खगड़िया, बेगुसराय, बांका, जमुई, लखीसराय, सहरसा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर समेत बड़ी संख्या में संताल परगना के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में भक्त फौजदारी दरबार आते है। ये भक्त धनरोपनी, मक्का कटाई समेत अन्य खेती के कार्य को संपन्न करने के बाद आते है। इन भक्तों के द्वारा भोलेनाथ से बेहतर खेती होने की गुहार भी लगायी जाती है।


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