45 दिन के अंदर घोषित होगा परीक्षाफल
दुमका : सिदो कान्हु मुर्मू विवि में गुरुवार की देर शाम कुलपति डॉ. कमर अहसन की अध्यक्षता में परीक्षा
दुमका : सिदो कान्हु मुर्मू विवि में गुरुवार की देर शाम कुलपति डॉ. कमर अहसन की अध्यक्षता में परीक्षा विभाग की बैठक हुई। इसमें परीक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि सैद्धांतिक व व्यवहारिक परीक्षा की पूर्ण समाप्ति के 45 दिन के अंदर परीक्षा फल घोषित किया जाएगा। अंकेक्षण प्रक्रिया को ज्यादा विश्वसनीय एवं पारदर्शी बनाने को परीक्षा निगरानी में सारे काम कराएं जाएंगे। प्रत्येक परीक्षा के लिए अलग अंकेक्षक नियुक्त होगा, परीक्षा विभाग के आतंरिक प्रशासन का विकेंद्रीकरण किया जाएगा। परीक्षा नियंत्रक सभी पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपेंगे। 2016 तक सभी परीक्षाओं का डिजिटल प्रबंधन कर दिया जाएगा। इस दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। मूल्याकन कार्य को वस्तुनिष्ठ बनाने के लिए प्रश्नपत्र एवं उत्तर पुस्तिकाओं में बार कोड का इस्तेमाल होगा। उत्तर पुस्तिका का सूचना प्रपत्र ओएमआर होगा। परीक्षा विभाग के कंप्यूटर के पासवर्ड एवं अन्य नियंत्रण पूरी तरह सिर्फ परीक्षा नियंत्रक के हाथ में होंगे। मूल्याकन एवं अंकेक्षण के लिए किसी भी तरह के तकनीकी सहायता किसी स्थानीय एजेंसी से नहीं ली जाएगी।
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आकड़ों का होगा नीति निर्धारण व शोध में प्रयोग
विश्वविद्यालय ने परीक्षा व्यवस्था की संताल परगना के सामाजिक शैक्षणिक अंकेक्षण के आकड़ों की प्रमुख स्त्रोत के रूप में पहचान की है। कुलपति ने परीक्षार्थियों के पंजीयन एवं प्रवेश प्रपत्रों में कुछ नयी प्रविष्टियों को जोड़ने का आदेश दिया है, जो अगले सत्र से नए फॉर्म में उपलब्ध हो जाएंगे। इसके बाद परीक्षार्थियों व विद्यार्थियों के लिए अभिभावकों की शैक्षणिक स्थिति व माता-पिता की वार्षिकी लिखना अनिवार्य हो जाएगा। प्रविष्टियों की रूपरेखा इस तरह तैयार की जाएगी कि उनके आधार पर विश्वविद्यालय सिदो कान्हु मुर्मू के से लाभान्वित होने वाली जनसंख्या को सही ढंग से वर्गीकृत कर सकेगी। विश्वविद्यालय अपने प्रभाव क्षेत्र में आने वाली पीढि़यों को विभिन्न सामाजिक सूचकाको के आधार पर अध्ययन कर सकेगी।
कुलपति ने बताया कि संताल परगना जैसे पिछड़े इलाकों में विकास की नीतियों को बनाने में पर्याप्त एवं एक्यूरेट साख्यिकी का बहुत महत्वपूर्ण रोल है। विश्वविद्यालय इन आकड़ों का उपयोग यूजीसी तथा अन्य संस्थाओं के सामने अपने पक्ष को रखने में भी करेगा। इससे विश्वविद्यालय के लिए समेकित अनुदान लेने में भी मदद मिलेगी। इन आकड़ों की मदद से शिक्षक, छात्र एवं प्रशासक सभी अपने विश्वविद्यालय को बेहतर समझ सकेंगे। अध्यापन और मूल्याकन की नीति तैयार करने में भी शिक्षकों को इससे मदद मिलेगी। इन आकड़ों से विश्वविद्यालय के कितने प्रतिशत छात्र प्रथम पीढ़ी के छात्र हैं व किस सामाजिक,आर्थिक श्रेणी से आते हैं इसकी जानकारी मिलेगी।
विश्वविद्यालय के आतंरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रो. अच्युत चेतन ने कहा कि सामाजिक विज्ञान के शोध के लिए विशेषकर जिनका संबंध संताल परगना से है उनके लिए यह आकड़े खरे संसाधन साबित होंगे। क्षेत्र एवं विश्वविद्यालय दोनों के विकास में इनका दूरगामी प्रभाव होगा। साथ ही माता का नाम लिखना भी होगा अनिवार्य होगा।