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झालको की योजनाओं की गुणवत्ता पर सवाल

दुमका मुख्यमंत्री रघुवर दास भले ही प्रशासनिक ढांचे में फेरबदल कर कार्यशैली में बदलाव लाना चाहते हो

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 06:58 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 06:58 PM (IST)
झालको की योजनाओं की गुणवत्ता पर सवाल

दुमका

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मुख्यमंत्री रघुवर दास भले ही प्रशासनिक ढांचे में फेरबदल कर कार्यशैली में बदलाव लाना चाहते हों, लेकिन महज प्रशासनिक ढांचा में फेरबदल कर देने मात्र से सिस्टम दुरुस्त हो जाएगा इसमें शक है। बेपटरी हुई सरकारी व्यवस्था में अभियंत्रण विभाग सबसे अव्वल है। प्रतिनियुक्तियों के आसरे इस विभाग में न सिर्फ मूल पदों के साथ खिलवाड़ हो रहा है, बल्कि पहुंच वाले एक-एक अभियंता कई विभागों का काम संभाल रहे हैं। एक-एक अभियंता करोड़ों रुपये की योजनाएं अलग-अलग जिले व विभागों में क्रियान्वित करा रहे हैं। दुमका में भी कई ऐसे अभियंता हैं जो प्रतिनियुक्ति पर एक से अधिक विभागों का संभाल रहे हैं।

इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश गंधर्व का सीधा आरोप है सरकार को कड़े फैसले लेने की जरुरत है। कहा कि झारखंड पहाड़ी क्षेत्र उद्वह सिंचाई निगम (झालको) के माध्यम से संताल परगना प्रमंडल के विभिन्न जिलों में जनजातीय क्षेत्र उप योजना उप शीर्ष से जल संचय व सिंचाई के लिए बनाये जा रहे तालाबों के निर्माण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है। झालको में प्रतिनियुक्ति पर बतौर एरिया मैनेजर कार्यरत लघु सिंचाई विभाग के एक सहायक अभियंता पंकज कुमार के जिम्मे तालाब निर्माण कराने की दो करोड़ से अधिक की योजनाएं है सिर्फ दुमका जिले के विभिन्न प्रखंडों में है। इसके अलावा संताल परगना के विभिन्न जिलों के प्रखंडों में क्रियान्वित हो रही करोड़ों की योजनाएं भी इन्हें के जिम्मे है। राज्य में संताल परगना के अलावा इस योजना से महज दो अन्य जिले पश्चिम सिंहभूम एवं रांची के कुछेक प्रखंडों को जोड़ा गया है।

वित्तीय वर्ष 2014-15 में कुल 11 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इन योजनाओं के लिए अभी तक पांच करोड़ 10 लाख रुपये मुहैया कराया जा चुका है। इस योजना में तयशुदा प्रावधानों के मुताबिक पुराने तालाबों के निर्माण में प्री-लेवल लेकर सक्षम पदाधिकारी द्वारा अनुमोदित कराना है। किसी भी तालाब के निर्माण का भुगतान लेवल बुक के अनुसार ही होना है। ये लेवल बुक अधीक्षण अभियंता एवं मुख्य अभियंता के स्तर से भी अनुमोदित होना है। खबर यह कि इन प्रावधानों से इतर लघु सिंचाई प्रमंडल के सहायक अभियंता पंकज कुमार दुमका जिले के दुमका, मसलिया, सरैयाहाट, काठीकुंड तथा झालको एरिया मैनेजर के रुप में दुमका, देवघर, जामताड़ा, साहिबगंज , पाकुड़ एवं गोड्डा का काम देखते हैं। लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता की जिम्मेवारियां तय है पर आश्चर्य यह कि उन्हें अब तक इसकी कोई जानकारी नहीं है। ------------

तालाब निर्माण की योजनाएं

जिला- दुमका में पोखर निर्माण

प्रखंड - गांव - लागत लाख में

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दुमका - ग्वालसिमला -19.761

रामगढ़ - जमवारी - 24.006

रानीश्वर - जगदीशपुर - 28.318

रामगढ़ - पथरिया - 20.562

जामा - कुल्हरिया - 23.926

जामा - गुनछुआ - 25.730

जामा - अमरा - 25.630

रामगढ़ - लेटो - 19.355

रामगढ़ -तालझरनी - 20.315

रामगढ़ - महेशपुर - 26.834

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जिला- साहिबगंज में तालाब निर्माण

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बोरियो- शहरपुर - 17.892

बरहेट - रक्सी - 17.835

पतना - दलाही - 14.990

बोरियो- मुर्गाबनी - 12.818

बोरियो- दुमकी - 12.795

बोरियो - मोतीडीह- 11.307

बोरियो - पतलोहरा- 11.393

बोरियो - बथानी - 12.334

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जिला - जामताड़ा में तालाब निर्माण

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फतेहपुर - बानरनाचा - 15.808

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इसके अलावा जिला रांची एवं पश्चिम सिंहभूम के कुछेक प्रखंडों में भी इस मद की राशि से तालाबों का निर्माण कराया जा रहा है।

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बाइट

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जिले में झालको की ओर से संचालित होने वाली किसी भी योजना की जानकारी नहीं है। विभाग की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश भी अब तक अप्राप्त है लेकिन इससे अवगत हैं कि क्रियान्वित हो रहे योजनाओं की जांच की जिम्मेवारी लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता को भी करना है।

मिथिलेश सिन्हा, कार्यपालक अभियंता, लघु सिंचाई विभाग, दुमका


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