संग्रहालय में संजोयी जाएगी संताली कला : शिबू
दुमका : सांसद शिबू सोरेन ने रविवार को दिसोम थान आर जाहेर थान में आयोजित बाहा पोरोब आतांड दाराम उत्सव
दुमका : सांसद शिबू सोरेन ने रविवार को दिसोम थान आर जाहेर थान में आयोजित बाहा पोरोब आतांड दाराम उत्सव में कहा कि संताल की परंपरागत कला, संस्कृति एवं पुरातात्विक धरोहरों को संग्रहालय में संजोकर रखा जाएगा। शिबू ने कहा कि संताल समाज प्रकृति का उपासक है और बाहा पर्व भी प्रकृति प्रेम का ही प्रतीक है। बिना रंग की होली खेलने का उत्सव बाहा में सिर्फ पानी से होली खेला जाना अनूठा है। उन्होंने संताल समाज के लोगों से कहा कि वे नशापान से दूर रहें। बच्चों को शिक्षित करें और खेती करके आत्मनिर्भर बनें। कहा कि दिसोम मांझी थान में बाहा का आयोजन काफी प्रसन्नता की बात है।
इससे पूर्व दिसोम मांझी थान आर जाहेर थान समिति की ओर से आयोजित इस उत्सव में शिबू सोरेन का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। मौके पर दिसोम मांझी बालेश्वर हेम्ब्रम, भैया हांसदा चासा, डॉ. एएम सोरेन, बैजनाथ हांसदा, सुलेमान हांसदा, सतीलाल हांसदा, कमिशन सोरेन, अजय हेम्ब्रम, प्रेमचंद किस्कू, सुभाष चंद्र सोरेन, सनातन किस्कू, उमेश मरांडी, सुशीला मुर्मू, सरदार हेम्ब्रम, इंग्लिश लाल मरांडी, सुनील हेम्ब्रम, मनोहर हेम्ब्रम समेत बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाएं व बच्चे उपस्थित थे।
पुस्तक का विमोचन : इस मौके पर शिबू सोरेन ने मारांड सिरजोन रेहेत नाम पुस्तक का विमोचन भी किया। इस पुस्तक के लेखक बैजनाथ हांसदा हैं। मंच संचालन चंद्रमोहन हांसदा ने किया।
समिति ने मांगपत्र सौंपा : कार्यक्रम के अंत में समिति ने शिबू सोरेन को नौ सूत्री मांगपत्र सौंपा जिसमें दुमका में संग्रहालय की स्थापना, जियोन दर्शन शिक्षा प्रसार के तहत छात्र-छात्राओं के बीच करियर काउंसलिंग की व्यवस्था, जाहेर थान की चारदीवारी निर्माण, सभा भवन, संतालों की परंपरागत नृत्य, कला एंव संस्कृति को बचाए रखने के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र,संताल के पर्व-त्योहारों पर सरकारी छुट्टी घोषित करने, दुमका जिला स्तरीय सभी कमेटियों में दिसोम मांझी का प्रतिनिधित्व एवं टीएसी में दिसोम मांझी थान आर जाहेर थान समिति को सदस्य बनाने की मांग की गयी है।
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ऐसे होता है बाहा का आयोजन
अमूमन बाहा पर्व मार्च महीने में मनाया जाता है और इसके लिए कोई तय तारीख तय नहीं है। ग्राम प्रधान व पंचायतों में सर्वसम्मति से निर्णय लेने के बाद बाहा पर्व का आयोजन किया जाता है। संताल समुदाय होली की तरह ही बाहा पर्व मनाते हैं लेकिन इसमें खास बात यह कि वे इसमें रंगों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। बाहा की शुरुआत गांव के नाईकी बाबा द्वारा जाहेर थान में पूजा करके करते हैं। इस दौरान साल के पेड़ों से फूल तोड़ने की परंपरा का निर्वहन भी किया जाता है। नाईकी बाबा द्वारा यह फूल उपस्थित सभी लड़का व लड़कियों को देते हैं और इसके बाद ही समुदाय के लोग पानी से होली खेलना शुरू करते हैं। परंपरा के मुताबिक जो व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को पानी से भिंगोता है वह भींगने वाले व्यक्ति को अपने घर ले जाकर मदिरा से सत्कार भी करता है। यह आयोजन शाम तक चलता है और सूर्यास्त के पश्चात ग्रामीण नृत्य-संगीत में मग्न हो जाते हैं।