मुद्दे से ध्यान हटाने को आरक्षण की बातें : गोविंदाचार्य
राजनीतिक चिंतक और भाजपा के पूर्व नेता केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि चुनावी माहौल में आरक्षण का मुद्दा उठाने का मतलब जनता का ध्यान असल मुद्दे से हटाना है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। राजनीतिक चिंतक और भाजपा के पूर्व नेता केएन गोविंदाचार्य ने उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में चुनाव से पहले आरक्षण का मुद्दा उठाए जाने पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि चुनाव के माहौल में आरक्षण जैसे संवेदनशील विषय पर चर्चा नहीं की जा सकती है। चुनावी माहौल में आरक्षण का मुद्दा उठाने का मतलब जनता का ध्यान असल मुद्दे से हटाना है।
गोविंदाचार्य रविवार को दिगंत पथ कार्यालय में मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने चुनाव में धर्म, जाति और भाषा के आधार पर वोट मांगने पर रोक लगाने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश पर चुनाव आयोग से तुरंत कार्रवाई करने की मांग की। कहा, देश में 1600 से ज्यादा राजनीतिक पार्टियां पंजीकृत हैं। इनमें 60 से ज्यादा के नाम जाति, भाषा और धर्म पर आधारित हैं। ऐसे दलों को चुनाव आयोग नोटिस दे कि एक महीने में अपना नाम बदल लें। नहीं बदलते हैं तो मान्यता रद कर देनी चाहिए। जिन राज्यों में चुनाव हो रहा है वहां एक सप्ताह में जाति, भाषा और धर्म आधारित दलों को नाम बदलने पर मजबूर किया जाए।
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कैशलेस करना था तो नोटबंदी क्यों?
गोविंदाचार्य ने कहा, जब कैशलेस करना था तो नोटबंदी की क्या आवश्यकता थी? बगैर नोटबंदी के भी अर्थव्यवस्था कैशलेस की जा सकती थी।
बंद हो मांस का कारोबार
गोविंदाचार्य ने मोदी सरकार से मांस का कारोबार बंद करने की मांग की है। कहा कि गोवंश की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री मांस का निर्यात बंद करने को तुरंत कदम उठाएं। गोविंदाचार्य ने बताया कि मांस निर्यात से भारत को सालाना 30 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है। इसमें चमड़ा का कारोबार भी शामिल है। भारत सरकार को मांस निर्यात से प्राप्त राजस्व का लोभ छोड़ निर्यात बंद करने का निर्णय लेना चाहिए।