अपने वतन के लोगों के लिए आंखें दान कर गईं एनआरआइ महिला
जिंदगी विदेश में बिताई। मानवता की सेवा करने के लिए डॉक्टर के रूप में वह यूनाइटेड किंग्डम के कई शहरों में घूमीं लेकिन अंतिम सांसें अपनी धरती पर ही लीं।
जासं, धनबाद। जिंदगी विदेश में बिताई। मानवता की सेवा करने के लिए डॉक्टर के रूप में वह यूनाइटेड किंग्डम के कई शहरों में घूमीं लेकिन अंतिम सांसें अपनी धरती पर ही लीं। इतना ही नहीं देश के दो नेत्रहीन लोगों को ज्योति देने के लिए मरणोपरांत अपनी आंखें भी दान कर गईं। धनबाद के सरायढेला के लोहार कुल्ही में रहनेवाली डॉ. मिस गौरी गुहा की आंखें अब दो नेत्रहीन लोगों की जिंदगी में रोशनी भरेगी।
सोमवार सुबह सात बजे आवास पर ही उनका निधन हो गया। लगभग 75 वर्ष की डॉ. गौरी गुहा अविवाहित थीं। उन्होंने कोलकाता से मेडिकल की पढ़ाई की थी और नौकरी करने यूके चली गईं।
1970 से वह यूके के विभिन्न शहरों में बतौर एनेस्थीसिया विशेषज्ञ सेवा दे रही थीं। बीमार पडऩे पर वह 2015 के नवंबर माह में धनबाद स्थित अपने घर आ गईं। इसके बाद से वह धनबाद के सरायढेला लोहारकुल्ही स्थित आवास में रह रही थीं। उनके परिजन डॉ. कृष्णकांत बागची और डॉ. उमा बागची भी डॉक्टर हैं। उनके निधन की सूचना पर बंगाली वेलफेयर सोसाइटी के सदस्य कंचन डे, सपन माझी, बुद्धदेव मुखर्जी, पीके चटर्जी आदि उनके आवास पहुंचे और परिजनों को उनका नेत्रदान करने को प्रेरित किया। परिजनों ने तत्काल विचार विमर्श कर इसकी सहमति दे दी। इसके बाद पीएमसीएच नेत्र बैंक को सूचना दी गई। पीएमसीएच आइ बैंक के डॉक्टरों को बुलाकर नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की गई। नेत्र बैंक के डॉक्टरों ने बताया कि शीघ्र ये आंखें दो नेत्रहीन लोगों में प्रत्यारोपित की जाएंगी।