जन वितरण प्रणाली की दुकान से खरीदे एक रुपये किलो चावल, 15 रुपये किलो बेच दिया, ख्ररीदार धराए
थापरनगर : खाद्य सुरक्षा अधिनियम का कैसे गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, इसकी बानगी गुरुवार को थापरन
By Edited By: Published: Fri, 23 Feb 2018 02:59 AM (IST)Updated: Fri, 23 Feb 2018 11:27 AM (IST)
थापरनगर : खाद्य सुरक्षा अधिनियम का कैसे गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, इसकी बानगी गुरुवार को थापरनगर में देखने को मिली। जन वितरण प्रणाली की दुकान से एक रुपये किलो मिलने वाले चावल को लाभुकों से खरीदकर ले जा रहे दो युवकों को ग्रामीणों ने कुड़कुड़ी रेलवे फाटक के समीप पकड़ा। सूचना एमओ को सुबोध कुमार सिंह को दी। एमओ ने चावल के साथ दोनों युवकों को निरसा पुलिस के हवाले कर दिया। निरसा थाने में दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है। यह है मामला : निरसा के भागाबांध निवासी रंजीत साहनी व रखोहरि नामक युवक स्कूटर (बीआर 17 ए- 0447) पर चावल की पांच बोरी लादकर कालूबथान की ओर से भागाबांध आ रहे थे। कुड़कुड़ी गांव के समीप लोगों ने संदेह के आधार पर ग्रामीणों ने उन लोगों को रोक लिया। लोगों ने चावल देखकर कहा कि चावल जन वितरण प्रणाली का है। सूचना पाकर पहुंचे सुबोध कुमार ¨सह ने दोनों युवकों से पूछताछ की। युवकों ने बताया कि वे लोग इस चावल को झरिया कोढि़यापट्टी के लालकार्ड व अंत्योदय कार्डधारियों से खरीद कर ला रहे हैं। युवकों ने बताया कि वे लोग लाभुकों से 15 रुपये प्रति किलो चावल खरीद कर उसे 17 रुपये प्रति किलो की दर से बिक्री कर देते हैं। एमओ ने दोनों युवकों को पुलिस के हवाले कर दिया। साथ ही स्कूटर व चावल भी जब्त कर निरसा पुलिस के हवाले कर दिया। इस संबंध में एमओ सुबोध कुमार ¨सह ने कहा कि ग्रामीणों की शिकायत व युवकों के बयान पर दोनों के खिलाफ निरसा थाने में शिकायत दर्ज कराई जा रही है। खाद्य सुरक्षा का हो रहा गलत इस्तेमाल सरकार व विभाग की लापरवाही का फायदा उठाते हुए कुछ ऐसे लोग हैं जो खाद्य सुरक्षा के दायरे में नहीं आने के बावजूद गलत तरीके से राशन कार्ड बनवाकर चावल का उठाव कर उसे बाजार में बेच देते हैं। वहीं दूसरी ओर ऐसे भी गरीब लोग हैं जिन्हें खाद्य सुरक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा। बीते दिनों कई ऐसे मामले आए जहां भूख से मौतें हुई। अगर सिस्टम दुरुस्त रहता तो जरूरतमंदों तक खाद्यान्न जरूर पहुंचता। लेकिन सिस्टम में लूप होल के कारण कहीं खाद्यान्न की कालाबाजारी की जा रही है तो कहीं लोग भूखे मर रहे हैं।
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