जो सभ्यता, संस्कृति को सामने लाए, वही नाटक : एलसी विश्वकर्मा
धनबाद : नाटक की डगर काफी कठिन है। नाटक देश की संस्कृति और सभ्यता को रंगमंच के माध्यम से सभी के सामने
धनबाद : नाटक की डगर काफी कठिन है। नाटक देश की संस्कृति और सभ्यता को रंगमंच के माध्यम से सभी के सामने लाता है। विभिन्न भाषा-भाषियों को एकता के सूत्र में बांधने का काम करता है। यह बातें मुगलसराय के वयोवृद्ध रंगकर्मी और रंगमंच निर्देशक एलसी विश्वकर्मा ने रविवार को कोयला नगर स्थित सामुदायिक भवन में कही। विश्वकर्मा बतौर निर्णायक इस कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे हैं।
बीसीसीएल के महाप्रबंधक कार्मिक सुलेमान कुदादा ने दो दिवसीय बहुभाषीय नाटक, गीत-संगीत प्रतियोगिता काला हीरा-2017 का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया। इस मौके पर देश के अलग-अलग प्रांतों से आए नाटककार और उनकी टीमें अपनी प्रस्तुति देने पहुंची हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीसीसीएल के महाप्रबंधक कार्मिक सुलेमान कुदादा ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कला और कलाकार न हो तो देश की संस्कृति को सामने नहीं लाया जा सकता। कलाकार देश की संस्कृति को जीवित रखता है। भारत विचित्र है। यहां प्रत्येक राज्य की भाषा, सभ्यता, संस्कृति अलग है। इसके बावजूद भी पूरा देश एकता के सूत्र में बंधा हुआ है। ऐसी एकता किसी अन्य देश में देखने को नहीं मिलती। उन्होंने सभी से नाटक को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। कोयलांचल भारत कोकिंग कोल नृत्य, संगीत एवं नाट्य संघ के सचिव राजेंद्र प्रसाद ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत करते हुए इस आयोजन के उद्देश्यों पर चर्चा की। संघ की अध्यक्ष मिताली मुखर्जी ने कहा कि यह प्रतियोगिता हर स्तर के कलाकारों के लिए है। कार्यक्रम के आयोजन में अहम भूमिका निभा रही द क्लब इंडिया के प्रबंध निदेशक संतोष रजक ने प्रतियोगिता में भाग लेने वाली टीमों से परिचय कराया। इसके बाद विभिन्न संस्थाओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
'कर्मनाशा की हार' आज : सत्य घटना पर आधारित डॉ. शिव प्रसाद द्वारा रचित कहानी 'कर्मनाशा की हार' पर आधारित नाटक का मंचन सोमवार को होगा। इस नाटक का मंचन धनबाद की द ब्लैक पर्ल्स धनबाद नामक संस्थान करने जा रही है। कहानी जात-पात, अंधविश्वास, ऊंच-नीच के बंधन को तोड़ती है।