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विकास की कुंजी है कैशलेस व्यवस्था

जामाडोबा : विकसित देशों की श्रेणी में आना है तो कैशलेस व्यवस्था को अंगीकार करना होगा। यह तो विकास की

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 10:37 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 10:37 PM (IST)
विकास की कुंजी है कैशलेस व्यवस्था
विकास की कुंजी है कैशलेस व्यवस्था

जामाडोबा : विकसित देशों की श्रेणी में आना है तो कैशलेस व्यवस्था को अंगीकार करना होगा। यह तो विकास की कुंजी है। इस व्यवस्था को अपनाएंगे तो यूरोपीय देशों को हम विकास के मामले में टक्कर दे सकते हैं। यह बात कारखाना निरीक्षक भरत चौधरी ने सोमवार को टाटा स्टील जामाडोबा आडिटोरियम में सोमवार को कही। वे यहां टाटा स्टील कर्मियों को कैशलेस व्यवस्था पर हुए सेमिनार में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था तो पहले की लागू होनी चाहिये थी। पर देर आये दुरुस्त आये। प्रधानमंत्री का यह कदम शानदार है। समाज के लोगों को भी कैशलेस व्यवस्था में अपना योगदान देना होगा। कहा कि मजदूरों को इस व्यवस्था के तहत भुगतान होगा तो ठेकेदार उसका शोषण नहीं कर सकते। पारदर्शिता आएगी। टाटा स्टील के अभियंता सरोज बनर्जी ने कहा कि समय की मांग कैशलेस व्यवस्था है। इससे कंपनी के मजदूरों को बेहतर परिणाम मिलेंगे। कैशलेस व्यवस्था में राशि के चोरी होने का खतरा नहीं होता। आज नगद लेकर चलने में भी भय रहता है। बैंक ऑफ इंडिया डिगवाडीह के शाखा प्रबंधक एलके प्रसाद ने कैशलेस व्यवस्था के बारे में जानकारी दी। कहा कि इंटरनेट से ही आप घर बैठे खरीददारी कर पेमेंट तक कर सकते हैं। कार्ड के सहारे रकम निकाल सकते हैं। कैशलेस व्यवस्था के लिये बैंक की ओर से हर सहयोग की बात कही।


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