टाटा कर्मियों को खदान के अंदर नहीं चलना पड़ेगा पैदल
सिजुआ : टाटा स्टील में कार्यरत कर्मियों को अब भूमिगत खदान के अंदर कार्यस्थल तक पैदल चलने से मुक्ति म
सिजुआ : टाटा स्टील में कार्यरत कर्मियों को अब भूमिगत खदान के अंदर कार्यस्थल तक पैदल चलने से मुक्ति मिलेगी। ऊंचाई व ढलान जैसे जगहों को पार कर कार्यस्थल की दूरी तय करने में लगनेवाले समय को देखते हुए प्रबंधन ने चेयरलिफ्ट मैन राइ¨डग सिस्टम की व्यवस्था की है। सिजुआ कोलियरी भूमिगत खदान के कर्मियों को इस सिस्टम का लाभ मिलेगा। इस पद्धति से कर्मी न सिर्फ कम समय में कार्यस्थल की दूरी तय करेंगे बल्कि चानक से वहां तक पैदल जाने की झंझट से भी उन्हें निजात मिलेगी। ढाई साल की कड़ी मेहनत के बाद इस योजना को अंतिम रूप देने में कंपनी को सफलता मिली है। भूमिगत खदानों में इस सिस्टम से परिवहन समय के साथ श्रमिकों की थकान में भी कमी आएगी। इससे न सिर्फ उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि सुरक्षा में भी सुधार होगा। 160 किलोमीटर लंबी इस सिस्टम में दो 90 डिग्री व एक 55 डिग्री का मोड़ है। एक समय में 160 कर्मियों और एक घंटे में 410 लोगों का परिवहन किया जा सकता है। एक चेयर पर एक ही कर्मी के जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। इस सिस्टम को इंस्टाल करनेवाली इमको इलीकन इंडिया लिमिटेड नामक कंपनी ने दो चेयर के बीच की दूरी 15 मीटर रखी है।
भूमिगत खदानों में काफी दूर स्थित गहरे सीम तक कर्मचारियों एवं सामग्रियों का परिवहन एक चुनौती है। पर्याप्त एवं प्रभावकारी परिवहन तंत्र समय की बचत करता है और दक्षता को बढ़ाता है। यह सिस्टम तेज, सुरक्षित और आरामदेह है। मालूम हो कि वर्ष 2012 में जामाडोबा कोलियरी में पहला लिफ्ट मैनराइ¨डग सिस्टम इंस्टाल की गयी थी। डिगवाडीह और 6 एंड 7 पिट् कोलियरी में भी इसी प्रकार का मैन राइ¨डग सिस्टम लगाया जा रहा है।
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सिस्टम का किया निरीक्षण : खान सुरक्षा महानिदेशालय के उपमहानिदेशक पीके सरकार, जीएल कांता राव, संजीवन राय व शुब्र बागची तथा झरिया डिवीजन के महाप्रबंधक संजय राजोरिया ने इस सिस्टम का निरीक्षण किया। इसके उपरांत सिजुआ समूह के वीटीसी कांफ्रेंस रूम में आयोजित कार्यक्रम में उप महानिदेशक ने कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और खदानों के अंदर की गतिविधियों में बेहतर समाधान करने के लिए टाटा स्टील के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कंपनी कर्मियों की कल्याण का पथप्रदर्शक है। चेयर लिफ्ट मैन राइ¨डग सिस्टम इसकी एक कड़ी है। भूमिगत खदानों में दुर्घटनाओं को रोकने में यह मील का पत्थर साबित होगा। महाप्रबंधक राजोरिया ने कहा कि उचित तकनीक का कार्यान्वयन भूमिगत खनन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। कंपनी उत्पादकता, सुरक्षा, अर्गेनॉमिक्स और पर्यावरण जैसे मामलों के समाधान के लिए भूमिगत खदानों का मशीनीकरण कर रही है। साथ ही प्रतिस्पर्धात्मक कीमत पर कोयले के उत्पादन को भी सुनिश्चित किया जा रहा है। निदेशालय के अधिकारियों में आर मीणा, मनीष जायसवाल, संदीप श्रीवास्तव, एस पुट्टा राजू के अलावा टाटा अधिकारी जसबीर ¨सह, शिव शंकर कुमार, राजीव रमण, एसके माजी, मयंक शेखर, पीयूष कुमार, राकोमसं के नेता संतोष महतो आदि उपस्थित थे।