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परियोजना विस्तार में बाधक बने आवास को प्रबंधन ने ढहाया

तिसरा : दोबारी बीजीआर परियोजना विस्तारीकरण में बाधक दोबारी चानक धौड़ा निवासी असंगठित मजदूर सुबोध साह

By Edited By: Published: Fri, 09 Dec 2016 12:11 AM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2016 12:11 AM (IST)
परियोजना विस्तार में बाधक बने आवास को प्रबंधन ने ढहाया

तिसरा : दोबारी बीजीआर परियोजना विस्तारीकरण में बाधक दोबारी चानक धौड़ा निवासी असंगठित मजदूर सुबोध साह के आवास को प्रबंधन ने प्रशासन के सहयोग से खाली कराकर गुरुवार को ढहा दिया। एक जेसीबी मशीन व दो डंपर इस काम में लगे थे। झरिया सीओ केदार नाथ ¨सह बतार दंडाधिकारी उपस्थित थे।

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झरिया थाना इंस्पेक्टर उपेंद्रनाथ राय, दोबारी पीओ गंगाधर महतो, प्रबंधक जेके जायसवाल, कार्मिक अधिकारी राणा एसके ¨सह, बीजीआर कंपनी के चुन्ना ¨सह, सीआइएसएफ जवान व झरिया धनबाद पुलिस गुरुवार को सुबोध के आवास पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ पहुंची। सुबोध के रिश्तेदार कामेश्वर मंडल, शंकर साह, हीरालाल मंडल, मोतीलाल नारायण, जितेन ने आवास ढहाने का विरोध किया। दंडाधिकारी व इंस्पेक्टर ने एसडीओ के आदेश का हवाला देकर सुबोध के परिवार को आवास खाली करने को कहा। इन लोगों का कहना था कि घर तब खाली करेंगे जब उनके आवास परिसर में रहनेवाले आधा दर्जन अन्य परिवारों को बेलगढि़या में आवास मिलेगा। कामेश्वर ने कहा यहां के लोगों को सर्वे के बाद भी जरेडा से कार्ड तो मिला। घर नहीं मिला। हम कहां जायेंगे। सीओ व इंस्पेक्टर ने घर खाली नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई करने की बात कही। तब लोग शांत हुए। प्रबंधन ने आवास ढहाने के बाद सुबोध की पत्नी पूजा देवी को घर के सामान के साथ वाहन से महिला पुलिस की निगरानी में बेलगढि़या आवास भिजवाया। जो उसे पूर्व में आवंटित हो चुका है। मालूम हो सुबोध यहां वर्षों से रह रहा था। आवास आवंटन के बाद भी सुबोध यहीं रह रहा था। तब प्रबंधन के लोग एसडीओ की शरण में गए। एसडीओ ने आवास खाली कराने का निर्देश दिया। बावजूद जब आवास खाली नहीं किया तो प्रशासन के सहयोग से दोबारी प्रबंधन ने आवास खाली कर ढहा दिया। डीएसपी विकास कुमार पांडेय भी पहुंचे और जानकारी ली।

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एसडीओ के आदेश पर घर ढहाया गया। यहां रहनेवाले अन्य लोगों को परेशानी है तो अपना पक्ष एसडीओ के समक्ष रखे। आवश्यक कार्रवाई होगी।

- केदारनाथ ¨सह, सीओ झरिया

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वर्ष 2012 में जब जरेडा ने सर्वे किया तब कई लोग यहां नहीं रहते थे। बाद में यहां आकर रह रहे लोग ही विरोध कर रहे हैं। इन लोगों ने बाद में पहचान पत्र बनाकर आवास की मांग की। इसे जरेडा ने अस्वीकृत कर दिया। सुबोध को एक वर्ष पूर्व ही आवास दे दिया गया था। परियोजना चलाने में सुबोध का आवास बाधक था। इसलिए कार्रवाई की गयी।

- जीडी महतो, पीओ दोबारी परियोजना


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