रैयतों की समस्याओं को राज्यसभा में उठाउंगा : संजीव
निरसा : ईसीएल प्रबंधन द्वारा 10 वर्ष बीत जाने के बावजूद खुशरी गांव के रैयतों की जमीन से कोयला निकाल
निरसा : ईसीएल प्रबंधन द्वारा 10 वर्ष बीत जाने के बावजूद खुशरी गांव के रैयतों की जमीन से कोयला निकाल ली। अब तक रैयतों को न तो मुआवजा मिला न ही उन्हें नियोजन दी गई। राज्यसभा सांसद अब तक तीन बार ईसीएल के मुगमा व ईसीएल मुख्यालय सांकतोड़िया कार्यालय का चक्कर लगा चुका हूं। शनिवार को भी ईसीएल के डीपी से वार्ता हुई है। मैंने स्पष्ट कह दिया है या तो 16 नवंबर तक छह रैयत को नियोजन व मुआवजा दे वरना आगे की लड़ाई के लिए तैयार रहें। उक्त बातें राज्यसभा सांसद संजीव कुमार ने कही। वे रविवार को खुशरी गांव में रैयतों के जमीन को ईसीएल द्वारा तहस-नहस किये जाने के अवलोकन करने आए हुए थे।
उन्होंने कहा कि ईसीएल प्रबंधन खुशरी गांव के विपिन मोदक, ¨पकू मोदक, सौतम धाड़ा, अभिजीत मोदक, विपिन मोदक व परितारण मोदक की जमीन का अधिग्रहण वर्ष 2006 में किया था। इनलोगों के जमीन से प्रबंधन आउटसोर्सिग के माध्यम से कोयला निकाल लिया। उस वक्त प्रबंधन ने इन रैयत के साथ नौकरी देने का करार किया था। उसके कागजात भी रैयतों के पास मौजूद है। प्रबंधन द्वारा अब तक न तो उन्हें मुआवजे की भुगतान की और न ही उन्हें नौकरी दी गई। साथ ही 12 अन्य रैयतों की जमीन भी तहस नहस करके छोड़ दिया है। ईसीएल में प्रावधान है कि जिनकी दो एकड़ जमीन अधिग्रहित होती है तो उन्हें नौकरी दी जाती है। 10 वर्ष बाद भी प्रबंधन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की है। यदि 16 नवंबर तक इनलोगों को नियोजन नहीं मिलता है तो मैं यह मामला राज्यसभा में उठाऊंगा। साथ ही ईसीएल के पदाधिकारियों के खिलाफ न्यायालय में मामला दर्ज करूंगा। मौके पर विदेश कुमार दां, लखी सोरेन, डीडी ¨सह, नाडू गोपाल चक्रवर्ती, रामपति मौजूद थे।