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एमओसीपी-झरिया में कुरकुरे फैक्ट्री पर एसओजी का छापा

तिसरा/झरिया : रविवार को सिटी एसपी के निर्देश पर एसओजी की टीम ने तिसरा थाना क्षेत्र के एमओसीपी और

By Edited By: Published: Sun, 28 Aug 2016 10:03 PM (IST)Updated: Sun, 28 Aug 2016 10:03 PM (IST)
एमओसीपी-झरिया में कुरकुरे फैक्ट्री पर एसओजी का छापा

तिसरा/झरिया : रविवार को सिटी एसपी के निर्देश पर एसओजी की टीम ने तिसरा थाना क्षेत्र के एमओसीपी और झरिया थाना क्षेत्र के मानबाद में दो कुरकुरे फैक्ट्रियों में छापेमारी की। एमओसीपी में संतोष साव और मानबाद में विश्वनाथ साव के यहां छापेमारी की गई। संतोष साव के यहां टीम ने लगभग चार ट्रक माल जब्त किया है। जब्त माल में मकई, चावल, बने हुए कुरकुरे के बोरे हैं। इसके बाद तिसरा पुलिस अधिकारी लखन सोय को बुलाकर माल व मशीनों समेत फैक्ट्री को सील कर दिया गया। टीम ने फैक्ट्री में काम करनेवाले ऑपरेटर कृष्णा यादव को गिरफ्तार किया। फैक्ट्री में चार अन्य लड़के भी थे। टीम को इन लड़कों ने बताया कि फैक्ट्री देखने आये थे हम तो नाबालिग हैं। टीम का कहना था कि इन लड़कों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाएगा। वहीं झरिया के कोयरीबांध से संतोष के पिता रामचंद्र साव को पकड़ा गया है। वहां उसके गोदाम को सील किया गया है। मानबाद में भी टीम ने विश्वनाथ की फैक्ट्री में 50 बोरा तैयार कुरकुरा व कुछ कच्चा माल पकड़ा है। इनके कोई भी कागजात नहीं दिखाए जाने पर टीम ने कार्रवाई की। इसे भी सील कर दिया गया है।

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टीम का नेतृत्व कर रहे विपुल कुमार ने बताया कि एमओसीपी फैक्ट्री में पकड़े गये चावल में पीडीएस का भी करीब 50 बोरा चावल है। जो झारखंड ही नहीं बल्कि दूसरे राज्य का भी है। यहां पांच साल से कुरकुरे बनाने का काम चल रहा था। कोई कागजात भी नहीं थे। सरकार को राजस्व का चूना लगाया जा रहा था। हम लोगों को गुप्त सूचना मिली थी। इसके बाद से यहां की रेकी कर रहे थे। आज रविवार को मौका देखकर छापा मारा गया। छापामारी में आपरेटर कृष्णा यादव को गिरफ्तार किया गया। उसके साथ ही राजेश शर्मा, मिथिलेश कुमार यादव, राकेश कुमार यादव, धर्मेन्द्र कुमार भी थे। ये लोग खाना खा रहे थे। कृष्णा यादव ने बताया कि वह दरभंगा बिहार का है। दिल्ली में कुरकुरे बनाता था। बाद में यहां तीन हजार रुपये महीने पर छह माह से काम करने लगा। साथ के लड़कों के बारे में कहा कि ये लोग दरभंगा के ही हैं। हमसे मिलने आये हैं। हमारा हाथ बंटा रहे थे। इधर सूत्रों का कहना है कि इन चारों लड़कों से भी फैक्ट्री में काम लिया जाता था।

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मूढ़ी के बाद चूड़ा गुड़ और अब कुरकुरे: कुछ लोगों ने बताया कि संतोष पहले मूढ़ी गुड़ और बाद में चूड़ा गुड़ बेचने का काम करता था। बाद में उसने कुरकुरे का काम शुरू किया। पर इतनी बड़ी अपने घर के अंदर ही फैक्ट्री लगाये था इसकी भनक तक लोगों को नहीं थी। करीब पांच कमरों में यह धंधा चल रहा था। संतोष ही इस घर में रहता था। उसके परिवार के अन्य सदस्य कोयरीबांध में रहते हैं। कुछ दिन पहले वह फैक्ट्री बेचने की भी जुगत कर रहा था पर कोई खरीदार नहीं मिल रहा था।

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झारखंड से बिहार व बंगाल तक जाता था माल : टीम का कहना था कि संतोष का कारोबार सिर्फ झारखंड या धनबाद ही नहीं बल्कि बिहार व बंगाल तक फैला था। वहां तक यह माल भेजता था। पूरा काम ¨सडीकेट के तहत होता था। उसके पकड़ में आने के बाद कई खुलासे होंगे। सूत्रों ने बताया कि करीब एक पखवारा पहले घनुडीह क्षेत्र में संतोष का करकुरे लदा ट्रक पकड़ा गया था। पर बाद में पुलिस ने उसे छोड़ दिया था।

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झरिया के मानबाद में हुई छापामारी: मानबाद में विश्वनाथ साव के कुरकुरे फैक्ट्री में छापा मारा गया। यहां भी कोई कागज प्रस्तुत नहीं किये जा सके। यहां करीब पचास बोरा माल तैयार, घी के टीन, कच्चा माल, कुरकुरे बनाने की मशीन आदि मिले हैं। यहां बाबूकुमार काजू बिस्कुट झरिया के नाम के कई रैपर भी मिले हैं। हालांकि विश्वनाथ साव का भी कहना है कि हम तो कारोबार कर जीवन यापन कर रहे हैं। कागजात प्रस्तुत करेंगे।

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हमारे पास सारे कागजात हैं। हमारी फैक्ट्री वैध है। अभी हम कोलकाता में हैं। वहां से लौटने के बाद सारे कागज प्रस्तुत करेंगे। हम कोई अवैध काम नहीं कर रहे हैं। न हमारी दुकान में पीडीएस का चावल है। हमने चावल को खरीदा था।

संतोष साव, कुरकुरे फैक्ट्री मालिक


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