बाल विवाह जिम्मेदारी से मुक्ति पाने की मनोदशा
जासं, धनबाद : आम तौर पर यही धारणा है कि बेटी या बेटे की शादी कर अपनी जिम्मेदारियों से निजात पा गये।
जासं, धनबाद : आम तौर पर यही धारणा है कि बेटी या बेटे की शादी कर अपनी जिम्मेदारियों से निजात पा गये। बाल विवाह जिम्मेदारियों से निजात पाने की ही मनोदशा है। यह बातें लॉ कॉलेज लीगल एड क्लिनिक की ओर से शहर के शिमलडीह शिव मंदिर परिसर में आयोजित विधिक जागरूकता शिविर में कॉलेज छात्रा सौमिता रॉय ने कही। सौमिता बाल विवाह और बाल श्रम विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रही थी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ अब शहरी चमक-दमक में भी इस रुढ़ीवादी धारणा ने अपनी जगह बनाना शुरू कर दिया है। बाल विवाह की रोकथाम के लिए कड़े कानून बने हैं। एक लाख जुर्माना और दो वर्ष की कठोर कारावास का प्रावधान है। क्लिनिक के संयोजक प्रो. कमल किशोर ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य आम लोगों में विधिक जागरूकता लाना है। उन्होंने कहा कि निश्शुल्क विधिक परामर्श लेने के लिए कॉलेज के लीगल एड क्लिनिक में आ सकते हैं। प्राचार्य डॉ. एसएस चट्टोपाध्याय, प्रो. अमरेश चौधरी व एएनएम लीला माजी व अन्य उपस्थित थे। चांदनी कुमारी, आयशा, संजीव कुमार, शिवानी, पूजा, आकांक्षा झा, पूजा, पंकज वर्मा ने कई अहम जानकारियां दी।