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भूधंसान- सुबह तेज आवाज के साथ धंसने लगे मकान

चासनाला : सुदामडीह मेन कालोनी के चीफ हाउस मुहल्ले सुबह तेज आवाज के साथ भू धंसान हुआ। इसमें चार मकान

By Edited By: Published: Sun, 07 Feb 2016 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2016 01:02 AM (IST)
भूधंसान- सुबह तेज आवाज के साथ धंसने लगे मकान

चासनाला : सुदामडीह मेन कालोनी के चीफ हाउस मुहल्ले सुबह तेज आवाज के साथ भू धंसान हुआ। इसमें चार मकान जमीन में समा गये। एक मकान में पंडाल कारीगर लक्ष्मी विश्वकर्मा व उसका परिवार रह रहा था। दूसरा मकान हरि साव का था वहां उसकी बकरियां बंधती थी। पूर्व में गैस रिसाव होने के कारण वह पास बनी अपनी दुकान में परिवार के साथ रहता था। तीसरा मकान अर्जुन विश्वकर्मा व चौथा बहादुर हाड़ी का मकान था। ये दोनों भी अन्यत्र रह रहे हैं। शुक्रवार को जब भू धंसान हुआ उस समय हरि साव की पत्नी अपने इस मकान में बकरी देखने आई थी। लक्ष्मी व उसका परिवार अपने घर पर था। लक्ष्मी का कहना है कि हम पानी भर रहे थे। तभी बच्चों ने कहा कि जमीन में आवाजें आ रहीं हैं। हम सब घबराकर आंगन में पहुंचे ही थे तभी जमीन धंसने लगी। उसमें पूरा परिवार फंस गया। लक्ष्मी ने किसी प्रकार अपनी पत्नी आरती देवी और पुत्र मोनू को बाहर निकाला। उसके बाद खुद व बेटे सोनू को किसी प्रकार निकाला। इधर जीरा देवी ने भी धंसान होते ही भागने की कोशिश की पर वह देखते ही देखते जमींदोज हो गई। हालांकि उसकी चारों बकरियां इस बीच वहां से निकल भागीं। अन्य दोनों घर भी जमींदोज हो गये। पूरे इलाके में घटना से कोहराम मच गया। सूचना पाकर जीरा देवी का पति हरि साव उसका बेटा चंदन भागते हुए पहुंचे और जमींदोज हो रही जमीन की ओर भागे। जीरा देवी को ये लोग खोजने लगे पर वह दफन हो चुकी थी। स्थानीय रेस्क्यू टीम व धनसार की टीम करीब 8.40 पर मौके पर गई। पर, उसे खोजबीन में कुछ हाथ नहीं लगा।

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दूसरी बार हुआ भू धंसान, मशीन से निकला शव : रेस्क्यू आपरेशन के दौरान ही दूसरी बार करीब साढ़े ग्यारह बजे फिर भू धंसान हुआ। इस बार तेज गैस रिसाव के साथ आग भी निकलने लगी। तब रेस्क्यू टीम व रेस्क्यू के काम में लगे स्थानीय लोगों ने भी कदम पीछे खींचना उचित समझा। लोगों ने मशीन मंगाने की मांग कर हंगामा किया। इसके बाद डोजर, पोकलेन मशीन मंगाई गई। डेको की पोकलेन मशीन से कड़ी मशक्क्त के बाद चालक रामू यादव ने जमीन की खुदाई कर जीरा देवी का शव साढ़े तीन बजे निकाला। उसका शव मशीन से निकालने के कारण तीन टुकड़े हो गया। उसे किसी प्रकार निकाला गया। शव निकलने के बाद स्थानीय लोगों ने नियोजन, प्रभावितों के पुनर्वास और जीरा के परिवार को मुआवजा की मांग कर हंगामा कर दिया। बीसीसीएल की मशीनों को रोक लिया।

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फिरंगियों के जमाने की खदान में धधकी आग :

जानकारों ने बताया कि फिरंगियों के जमाने में इस इलाके में पूर्व में आठ ए सीम इंकलाइन पाथरडीह हाटतल्ला से लेकर सुदामडीह मोहलबनी तक चली थी। उस इंकलाइन से कोयला निकालने के बाद उसकी भराई नहीं की गई। यहां वक्त के साथ आग धधकती गई। नतीजा वर्ष 2012 में यहां गैस रिसाव व भू धंसान की घटना हुई थी। पर प्रबंधन ने पुनर्वास का पुख्ता इंतजाम नहीं किया। केवल नोटिस देकर कर्तव्य की इतिश्री की गई। इंकलाइन की आग के कारण वर्ष 2014 घटना स्थल से कुछ दूर नाच घर के पास भू धंसान हुआ। पिछले वर्ष 29 अक्टूबर को चीफ हाउस व डीओसीपी कॉलोनी के पास फिर भू धंसान हुआ था। तब जिस हवा घर से गैस रिसाव व आग निकल रहीे थी उसे भर दिया गया था। उस समय भी इलाके के आसपास ही पुनर्वास की मांग उठी पर वह नक्कारखाने में तूती बन गई। सिर्फ कागजी कार्रवाई और भूमि मापी का काम ही किया गया था। यहां उस समय बालू पानी से भराई नहीं होने के कारण व पत्थर से हवा घर को भरने के कारण आग को अंदर ही अंदर हवा मिलने से बढ़ी। कोयला राख बनता गया। नतीजा राख के बैठने से जोरदार आवाज के साथ फिर भू धंसान की घटना हो गई। करीब पांच सौ मीटर का क्षेत्र भू धंसान के कारण दरक गया है।

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वर्जन

आग पर काबू को हर प्रयास होगा। लोगों के अस्थायी पुनर्वास को कैंप बनाकर उन्हें शिफ्ट करेंगे। इलाका भू धंसान क्षेत्र है। विशेषज्ञों की बात मानें। लोग यहां से अन्यत्र जाकर रहें। जरेडा के तहत जहां पुनर्वास हो उसका लाभ लें।

महेश संथालिया, एसडीओ, धनबाद

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इलाके का सर्वे तो तीन वर्ष पहले ही करा चुके हैं। पूर्व में कार्ड बांटने भी आये थे। पर लोग कार्ड नहीं ले रहे हैं। लोग बेलगढि़या की जगह आसपास मकान मांग रहे थे। हम क्या कर सकते हैं। बेलगढि़या में पुनर्वास को हम तैयार हैं।

-गोपालजी, जरेडा अधिकारी

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यह इलाका आग और धंसान प्रभावित है। बीस बार लोगों को हटने का नोटिस दिया है। पर, लोग नहीं हट रहे हैं। गैर बीसीसीएल कर्मियों के पुनर्वास की जिम्मेवारी हमारी नहीं जरेडा की है। जरेडा उनकी व्यवस्था करे। हम शि¨फ्टग के मद में भी हर परिवार को दस हजार की राशि देने की बात लगातार कह रहे हैं।

-आरबी कुमार, जीएम पूर्वी झरिया क्षेत्र


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