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असहिष्णुओं को प्रेमपूर्वक बनाएं सहिष्णु : शंकराचार्य

जागरण संवाददाता, धनबाद : जीवन में सत्य ही सहिष्णुता है। असत्य की असहिष्णुता का समाधान होना चाहिए। जो

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 08:04 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 08:04 PM (IST)
असहिष्णुओं को प्रेमपूर्वक बनाएं सहिष्णु : शंकराचार्य

जागरण संवाददाता, धनबाद : जीवन में सत्य ही सहिष्णुता है। असत्य की असहिष्णुता का समाधान होना चाहिए। जो जन्मजात असहिष्णु हैं उन्हें सहिष्णु बनाने का प्रयास प्रेम व विवेकपूर्वक करने की आवश्यकता है। अन्यथा अपना सनातन तंत्र उन्हें अराजक समझकर अपने तंत्र के हिसाब से कार्रवाई करेगा। उक्त बातें पूरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने गुरुवार को धनसार अशोक नगर स्थित गोविंद भवन में आयोजित दो दिवसीय सनातन धर्म सम्मेलन में कहीं। उन्होंने इस दौरान सनातन धर्म, हिन्दू राष्ट्र, गौ हत्या, शासन तंत्र और आतंकवाद पर बेबाकी से जवाब दिया।

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शंकराचार्य ने कहा कि जिसके रहने पर व्यक्ति या वस्तु के अस्तित्व की उपयोगिता सिद्ध हो सके वह धर्म है। धर्म की उपयोगिता के बिना व्यक्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती है। भारतवर्ष में वर्णाश्रम व्यवस्था बहुत पुरानी है। सनातन धर्म में समग्र वेदों का सदउपयोग करने वाला व्यक्ति निर्भेद रूप में परमात्मा तक पहुंच सके वो वर्णाश्रम व्यवस्था है। भगवान कृष्ण ने वर्णाश्रम व्यवस्था की रक्षा के लिए जन्म लिया। मानव धर्म को सत्य सहिष्णुता की क्रमिक अभिव्यक्ति के मार्ग से जीवन में पूर्ण रूप से उतारने का नाम वर्णाश्रम व्यवस्था है। लेकिन विदेशी शासन तंत्र में इसके प्रति स्वार्थवश अनास्था उत्पन्न की गई। आतंकवाद का जनक कौन है, इस पर अनुसंधान व विचार होना चाहिए। किस तंत्र ने भारत का विभाजन किया, पड़ोसी देश को थपथपाने वाला कौन है। इस विषय पर विचार करना चाहिए। जिन्होंने आतंकवाद को पाला उनके लिए ही यह सबसे बड़ा खतरा बन गया है।

भारत को ¨हदू राष्ट्र होना चाहिए

शंकराचार्य ने कहा कि चक्रवर्ती नरेंद्रों के समय पूरा विश्व सनातन व वैदिक था। हमने पूरे विश्व को अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र, मोक्ष शास्त्र, नीति शास्त्र, चिकित्सा, विज्ञान समेत गणित दिया। पूरा विश्व इस तथ्य को स्वीकार करता है। ¨हदू राष्ट्र होने पर किसी का अपकर्ष होगा, इस भ्रांति को दूर करने की आवश्यकता है। भारत के हर राजनीतिक दल का पवित्र दायित्व बनता है वह दो बिंदुओं पर ध्यान दें। पहला मंगल पांडेय, भगत सिंह, नेताजी आदि जिन्होंने गांधी के पूर्व भारत को स्वतंत्र देखना चाहा, उनकी भावना को परख कर ही कोई दल शासन चलाए। दूसरा, ऐतिहासिक तथ्य है कि विभाजन के बाद भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति हुई। स्वतंत्र भारत की संरचना किस प्रकार हो विवेक व प्रेम पूर्वक इस तथ्य पर विचार करना चाहिए। मालूम हो जाएगा कि भारत ¨हदू राष्ट्र होना चाहिए।

खरे नहीं उतर रहे राजनीतिक दल

शंकराचार्य ने कहा कि वह स्वतंत्रता कैसी जहां गौ वंश की रक्षा न हो, जल धारा की रक्षा न हो, देवियों की सिर की रक्षा न हो, आर्थिक विपणता की पराकाष्ठा दूर न हो और जिनके लिए स्वतंत्रता प्राप्त हुई उनको संविधान की सीमा में समानता का अधिकार प्राप्त न हो। देश में अमूल्य परिवर्तन की आवश्यकता है। जितने भी राजनीतिक दल हैं वे सत्तालोलुपता, अदूरदर्शिता की चेपट में आकर दिशाहीन हैं। जानबूझकर या अज्ञान की चपेट में आकर विदेशी षड्यंत्रकारियों के यंत्र बनकर काम कर रहे हैं। इसलिए भारत के हित में राजनीतिक दल खरे नहीं उतर पा रहे हैं।


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