Move to Jagran APP

जब जेपी आंदोलन के सिपाही के गुरु बन गए कलाम

तापस बनर्जी, धनबाद : मिसाइल मैन के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को विज्ञान-तकनीक

By Edited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 01:08 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 01:08 AM (IST)
जब जेपी आंदोलन के सिपाही के गुरु बन गए कलाम

तापस बनर्जी, धनबाद : मिसाइल मैन के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को विज्ञान-तकनीक के साथ-साथ संगीत और कला से भी बेहद लगाव था। कला के करीब रहे कलाम उसकी बारीकियों से भी रूबरु थे। यही वजह है कि 30 अप्रैल 2012 को बोकारो आगमन के दौरान जब वो बीएसएल के अतिथिगृह के एक सुइट में ठहरे थे, तो कमरे में टंगे लकड़ी के टुकड़ों से बनी आकृति उनके दिल को छू गई। उस कलाकृति की रचना धनबाद न्यू कॉलोनी निवासी सेवानिवृत्त उप मुख्य कारखाना निरीक्षक वीरेंद्र ठाकुर ने की थी। श्री ठाकुर को आमंत्रित कर कलाम साहब ने कलाकृति के बारे में जानकारी भी ली। ठाकुर ने बताया कि वो शौक के तौर पर ऐसी कलाकृति का निर्माण करते हैं। मिसाइल मैन ने बताया कि वो कोई साधारण कलाकृति नहीं बल्कि यूरोपीय कला शेप्ड वुड कोलाज है। उन्होंने यूरोपीय कला में भारतीय रंग भरने की प्रेरणा दी। श्री ठाकुर मानते हैं कि पूर्व राष्ट्रपति की वो प्रेरणा उनके जीवन के लिए पथ प्रदर्शक रही। आज वुडेन कोलाज ने उन्हें इस बुलंदियों तक पहुंचाया कि बीएसएल ने उन्हें स्वामी विवेकानंद वुडेन कोलाज फोटो फ्रेम तैयार करने का आग्रह भेजा है, जिसे आगामी दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन पर उन्हें भेंट किया जाएगा।

loksabha election banner

जेपी आंदोलन से जुड़े थे वीरेंद्र : बीआइटी सिंदरी से 1975 में पासआउट वीरेंद्र ठाकुर जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं। युवावस्था में आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के बाद उन्होंने बीपीएससी पूरी की और कारखाना निरीक्षक के रूप में नियुक्त हुये। धनबाद में कई वर्षो तक सेवा देने के बाद बोकारो में बतौर उप मुख्य कारखाना निरीक्षक रहे।

सागवान की लकड़ी को देते हैं आकार : बकौल वीरेंद्र ठाकुर काफी कम उम्र से ही कला से लगाव था। सरकारी सेवा के दौरान भी इसे जीवंत रखा। लकड़ियों के टुकड़ों को एकत्रित कर उन्हें एक आकार देने का प्रयास करता था। इसके लिए रात में छिपकर प्रतिमा बनाते कलाकारों को देखता था। आहिस्ता-आहिस्ता कदम बढ़ते गए और आज उस मुकाम को पा लिया है, जिसके लाखों लोग प्रयत्‍‌नशील रहते हैं। वुडेन कोलाज के लिए सागवान की लकड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। फ्रेम दिल्ली, मुंबई या अन्य बड़े शहरों से लाना पड़ता है।

आखें नम : श्री ठाकुर कहते हैं कि चंद पलों में ही ऐसा रिश्ता कायम हो गया कि उन्हें अपना पथ प्रदर्शक मान लिया। आज वो हमारे बीच नहीं हैं। देश रो रहा है, मेरी भी आंखे नम हैं और हृदय विदीर्ण है, क्योंकि मैंने अपना गुरु खो दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.