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याद किए गए चासनाला खदान दुर्घटना के अमर शहीद

संवाद सहयोगी, चासनाला, झरिया : सेल की चासनाला डीप माइन खदान में वर्ष 1975 में हृदयविदारक घटना हुई थी

By Edited By: Published: Sat, 27 Dec 2014 09:31 PM (IST)Updated: Sun, 28 Dec 2014 04:18 AM (IST)
याद किए गए चासनाला खदान दुर्घटना के अमर शहीद

संवाद सहयोगी, चासनाला, झरिया : सेल की चासनाला डीप माइन खदान में वर्ष 1975 में हृदयविदारक घटना हुई थी। 27 दिसंबर को हुई इस खान दुर्घटना में 375 खनिकों की जल समाधि हो गई थी। शनिवार को इन शहीद खनिकों को याद कर शहीद स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये। दिन भर श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों का तांता लगा रहा।

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भींगी पलकों से सेल अधिकारियों, यूनियन नेताओं, आमजनों व शहीदों के परिजनों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। शनिवार को दोपहर को 1.35 पर आपातकालीन सायरन बजा। हर ओर सन्नाटा छा गया। 21 सशस्त्र होमगार्ड के जवानों ने शस्त्र के साथ सलामी दी। दो मिनट का मौन रख शहीदों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। सर्वधर्म सभा हुई। सेल निदेशक कल्याण मैती व ईडी कोल यूके डे ने पुष्प अर्पित किये। जीएम जेके भौमिक ,एलएन मल्लिक, राजीव भार्गव, केएलएस राव,एनएस प्रसाद,अमिताभ दत्ता,अजय गुप्ता,रजत दास गुप्ता,बादल मंडल, सुन्दर लाल महतो , जितेन्द्र मिश्रा, योगेन्द्र यादव, सुजीत सिंह, अजीत ओझा, विरंची महतो, दुर्गा ओझा समेत अनेक लोगों ने शहीद स्मारक पर पुष्प चढ़ा इन अमर शहीदों की शहादत को नमन किया।

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कभी न भूलेंगे इन शहीदों की शहादत:

सेल निदेशक कल्याण मैती व यूकेडे ने पत्रकारों से कहा कि सुरक्षा व सुरक्षित उत्पादन हमारा ध्येय है। शहीद स्मारक, पार्क व टाउनशिप को और बेहतर बनायेंगे। एक माह में बदलाव दिखने लगेगा। फंड की कमी नहीं होने दी जायेगी। एशिया की सबसे बड़ी इस दुर्घटना में शहीद खनिकों की शहादत कभी भुला नहीं सकते। झरिया की पूर्व विधायक कुंती देवी ने कहा कि प्रबंधन व श्रमिक हमेशा सुरक्षा के प्रति गंभीर रहें।

सुरक्षा के प्रति अभी भी गंभीर नहीं प्रबंधन:

चासनाला : सीटू नेता सुंदर लाल महतो ने कहा कि सेल प्रबंधन सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं है। 1975 की बड़ी दुर्घटना घटने के बाद भी वह सचेत नहीं हुआ है। ईस्ट ओपन कास्ट क्वायरी में भारी मात्रा में जल जमाव है। पानी निकासी को लगाया गया पंप भी खराब है।

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शहीद के परिजन को नहीं मिला नियोजन:

39 वर्षो बाद भी खान दुर्घटना के शहीदों के परिजनों के जख्म हरे हैं। कई शहीद खनिकों के परिजन नौकरी व मुआवजा से वंचित हैं। स्व. नंद किशोर सिंह की पत्नी आशा देवी ने कहा कि पति की मौत से दुनिया उजड़ गई। बावजूद प्रबंधन ने जख्म पर मरहम नहीं लगाया। हमारे पुत्र शिवकुमार को नियोजन नहीं मिला।

शहीद के परिजनों ने बांटे गरीबों को कंबल:

1975 खान दुर्घटना में शहीद उमेश चंद्र प्रसाद सिन्हा के पुत्र संजय सिन्हा, पत्नी सुनीता सिन्हा, पौत्र राज रंजन सिन्हा ने तीस गरीब असहायों के बीच कंबल बांटे।


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