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तीन वर्ष के मासूम ने मौत के बाद दी चार को जिंदगी

सिंदरी (धनबाद) : सिंदरी के एक तीन वर्ष के मासूम ने अपनी मौत के बाद एक विदेशी समेत चार बच्चों को नई ज

By Edited By: Published: Sun, 21 Dec 2014 09:42 PM (IST)Updated: Sun, 21 Dec 2014 09:42 PM (IST)
तीन वर्ष के मासूम ने मौत के बाद दी चार को जिंदगी

सिंदरी (धनबाद) : सिंदरी के एक तीन वर्ष के मासूम ने अपनी मौत के बाद एक विदेशी समेत चार बच्चों को नई जिंदगी दी। मौत के बाद उसका दिल, लीवर, किडनी और आंख का प्रत्यारोपण दूर-दूर के अस्पतालों में इलाजरत बच्चों में कर उनकी जिंदगी में खुशहाली भर दी गई। चार बच्चों को नई जिंदगी देनेवाला यह मासूम सिंदरी निवासी अमित कुमार का पुत्र यथार्थ था। अमित कुमार बेंगलुरू में एक निजी कंपनी में काम करते हैं। कुछ दिन पूर्व उनका 2 वर्ष 11 माह का पुत्र यथार्थ मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित हो गया। अमित ने बच्चे को बेंगलुरू के मणीपाल अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया लेकिन चिकित्सकों ने गुरुवार को बच्चे को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। तब अमित कुमार ने बेटे यथार्थ के जन्म को सार्थक करने का निर्णय लिया। उन्होंने यथार्थ के अंगों को जरूरतमंद बच्चों को देने के लिए हामी भर दी।18 दिसंबर गुरुवार को बेंगलुरू के निमहेंस अस्पताल की जोनल को-आर्डिनेशन कमेटी मणीपाल अस्पताल पहुंच कर यथार्थ के अंगों की जांच की। शुक्रवार को यथार्थ के की शल्य चिकित्सा के बाद उसका हृदय फोर्टिस मलार अस्पताल चेन्नई ले जाया गया। गहन चिकित्सकीय निगरानी में वायुमार्ग से मात्र 58 मिनट में बेंगलुरूके मणीपाल अस्पताल से चेन्नई के फोर्टिस मलार अस्पताल की दूरी तय की गई। वहां यथार्थ के हृदय का प्रत्यारोपण एक रशियन बच्चे में किया गया। अब यथार्थ का दिल उस रशियन बच्चे में धड़क रहा है। वहीं यथार्थ की आंख नारायण नेत्रालय में एक अन्य मासूम को प्रत्यारोपित की गई। यथार्थ का लीवर अपोलो अस्पताल में एक बच्चे में प्रत्यारोपित किया गया और उसकी किडनी भी सागर अस्पताल में भर्ती एक बच्चे को नई जिंदगी दे गई। धनबाद कोयलांचल के लोग इंसान के जीवन की रक्षा के लिये कलियुग में यथार्थ के अंगदान को सतयुग के संत दधीचि के अस्थि दान से कम नहीं मान रहे हैं।

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सिंदरी पहुंचे माता-पिता

बेंगलुरू के एक कंपनी में सहायक सलाहकार के रूप में कार्यरत अमित कुमार उपाध्याय और उनकी धर्मपत्नी ने अपनी इकलौती संतान का अंगदान कर समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है। रविवार को 1.30 बजे वे बेंगलुरु से सिंदरी स्थित अपने घर शहरपुरा पहुंचे। घर में प्रवेश करते ही यथार्थ की मां राजलक्ष्मी रो पड़ीं, परन्तु पिता अमित ने धैर्य नहीं खोया। गर्व से कहा-कि यथार्थ ने जन्म लिया था, उसे कुछ करना था। अब वह नहीं रहा परन्तु अंगदान से उसने जीवन सार्थक कर दिया। परिवार को यथार्थ पर गर्व है।

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दिल पहुंचाने को एंबुलेंस ने 11 मिनट में तय की 12 किमी की दूरी

धनबाद : यथार्थ का दिल दूसरे बच्चे में प्रत्यारोपित करने के लिए बेंगलुरु और चेन्नई में अस्पताल और हवाई अड्डे के बीच एक तरफ से यातायात को रोक दिया गया था। इस कारण एक शहर से भेजे गए हृदय का प्रत्यारोपण दूसरे शहर में संभव हो सका।

चेन्नई के फोर्टिस मलार अस्पताल में दो साल आठ महीने का एक बच्चा जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा था। यह बच्चा डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी नाम की बीमारी से ग्रस्त था और हृदय प्रत्यारोपण ही उसकी आखिरी आस थी। इस बच्चे के लिए उम्मीद की खबर बेंगलुरु से आई। बेंगलुरु के मणिपाल अस्पताल में दो साल, 11 महीने के बच्चे यथार्थ को डॉक्टरों ने गुरुवार को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। माता-पिता बच्चे का दिल दान करने के लिए तैयार हो गए। बेंगलुरु में अंगदाता बच्चे के शरीर से दिल निकालने के बाद इसे आर्गन ट्रांसप्लांट सोल्यूशन में रखा गया। यह सोल्यूशन छह घंटों तक दिल को धड़काए रखता है। इतने समय के भीतर इसका प्रत्यारोपण जरूरी था। सो, कम-से-कम समय में इसे चेन्नई लाने की चुनौती थी। दो पड़ोसी राज्यों की राजधानियों के बीच का फासला पूरे 290 किलोमीटर का है। इसलिए हवाई जहाज से हृदय लाने का फैसला हुआ। सबसे पहले बेंगलुरु में एचएएल एयरपोर्ट और अस्पताल के बीच ग्रीन कॉरीडोर लगाया गया। इस दौरान 2.2 किलोमीटर लंबी सड़क पर एक ओर से गाड़ियों का आना-जाना रोक दिया गया और सभी लाल बत्तियां हरी कर दी गई। दिल को एंबुलेंस से एचएएल हवाई अड्डे तक बिना किसी बाधा के पहुंचा दिया गया। यहां से चार्टर्ड विमान यथार्थ का दिल लेकर उड़ चला। चेन्नई हवाई अड्डे पर एंबुलेंस पहले से तैयार थी। यहां एक बार फिर ग्रीन कॉरीडोर लगाया गया। 12 किलोमीटर की दूरी को एंबुलेंस ने 11 मिनट में तय करते हुए फोर्टिस मलार अस्पताल तक दिल पहुंचा दिया।


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