विकास वैसा हो जो आफत से बचाए
जागरण संवाददाता, धनबाद : 'विकास वैसा हो जो आफत से बचाए, विकास वैसा न हो जो खुद ही आफत बन जाए।' इस सूत्र वाक्य में विकास के साथ-साथ उत्पन्न हो रहे तरह-तरह के आपदा का कारण छिपा हुआ है। झरिया कोयलांचल में भूमिगत आग व भू-धंसान की समस्या से लेकर गत वर्ष केदारनाथ और अब जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के कारण आए आपदा के पीछे कहीं न कहीं विकास भी एक प्रमुख कारण है।
भारत सरकार और यूएनडीपी के सहयोग से आपदा प्रबंधन प्राधिकार धनबाद के तत्वावधान में मंगलवार को न्यू टाउन हॉल में तीन दिवसीय ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स प्रोग्राम शुरू हुआ। प्रोग्राम में तमाम वक्ताओं के प्रकृति और विकास में सामंजस्य पर जोर दिया ताकि आपदा की विभीषिका को न्यूनतम किया जा सके। उद्घाटन करते हुए उपायुक्त प्रशांत कुमार ने कहा कि आपदा प्रबंधन बहुत की आवश्यक है। सुदृढ़ आपदा प्रबंधन के द्वारा किसी भी आपदा सामना किया जा सकता है। उप सचिव आपदा प्रबंधन एनके झा ने स्वागत भाषण में आपदा के प्रकार तथा आपदा प्रबंधन हेतु झारखंड सरकार के द्वारा की जा रही कार्यो की जानकारी दी। एसपीओ आपदा प्रबंधन विभाग कर्नल संजय श्रीवास्तव ने आपदा प्रबंधन की संस्थागत संरचना की जानकारी दी। एनडीआरएफ कोलकाता के डिप्टी कमांडेंट अभय सिंह आपदा प्रबंधन के विभिन्न स्किल की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भूकंप से लोग नहीं मरते हैं। भूकंप के दौरान मकान, पेड़, बिजली के तार-पोल के गिरने के दौरान लोग दब कर जान से हाथ धो बैठते हैं। इस दौरान जागरूकता से जान-माल की हानि कम की जा सकती है। भूकंप आने पर घर के अंदर चौकी, पलंग आदि के नीचे चले जाने से जान बच सकती है। खुले आसमां के नीचे चले जाना चाहिए। यूएनडीपी के प्रो. दिलीप कुमार ने कहा कि भारत देश एक रंगमंच है विभिन्न आपदाओं का। उन्होंने कहा कि पेड़ काट रहे हैं। पानी का स्त्रोत समाप्त कर रहे हैं। लोगों को जागरूक कर और सावधानी बरत कर आपदा को कम किया जा सकता है।
संचालन डीपीआरओ रश्मि सिन्हा ने किया। इस मौके पर एसी मनोज कुमार, डीसीएलआर नारायण विज्ञान प्रभाकर, प्रमंडलीय अग्निशमन पदाधिकारी सुधीर कुमार, आइएसएम के प्रो. विश्वजीत आदि उपस्थित थे। टीओटीएस प्रोग्राम में एनजीओ, पंचायती राज के प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी और शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।