अनंत फलदायी है ये चंद्रग्रहण, जानिए कब तक रहेगा ग्रहण
इस बार सावन पूर्णिमा के दिन सोमवार को चंद्रग्रहण है, जो काफी शुभ माना जा रहा है।
देवघर, जेएनएन। शास्त्रों में रविवार को सूर्यग्रहण एवं सोमवार को चंद्रग्रहण को चूड़ामणि योग कहा जाता है। यह योग यह अनंत फलदायी होता है। इस बार सावन पूर्णिमा के दिन सोमवार को चंद्रग्रहण है, जो काफी शुभ माना जा रहा है। इस बार सावन में पांच सोमवार आए, जो विरले ही देखने को मिलता है।
सबसे खास बात यह रही कि सोमवार से ही श्रावणी मेला आरंभ हुआ और सोमवार को ही इसका समापन हो रहा है। जानकारों का मानना है कि यह एक सुखद दिन है। एक साथ तीन-तीन विशेष अवसर। एक तो सावन का सोमवार, दूसरा रक्षाबंधन और तीसरा चंद्रग्रहण। लंबे कालखंड के बाद ही ऐसा अवसर आता है।
जानिए, कब तक लगेगा ग्रहण
यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत वर्ष के साथ-साथ विश्व के अन्य कई देशों में भी दिखाई देगा। रात 22.53 बजे ग्रहण लगेगा और 12.48 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण का पूर्ण बलि समय 23.49 तय है। भारत के सभी शहरों में उस समय तक चंद्र उदय हो चुका होगा।
शाम सात बजे बंद हो जाएगा बाबा बैद्यनाथ मंदिर का पट
सोमवार शाम सात बजे बाबा बैद्यनाथ मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाएगा। सात बजे से पुरोहित बाबा को बिल्वपत्र चढ़ाएंगे। परंपरा के अनुसार, ऐसा प्रत्येक सोमवार को होता है। विल्वपत्र अर्पण के समय पंडा समाज के लोगों की भीड़ इतनी अधिक हो जाती है कि इसमें कम से कम एक घंटा लग जाता है। ऐसे में हर हाल में मंदिर का पट आठ बजे बंद होगा।
इसके तुरंत बाद श्रृंगार होगा। बाबा को भोग लगाया जाएगा और सुबह तक के लिए कपाट बंद हो जाएगा। अब तक सोमवार के दिन भीड़ होने के कारण रात्रि 11 बजे तक जलार्पण हुआ। लेकिन चंद्रग्रहण के कारण अंतिम सोमवारी को ऐसा नहीं होगा।
दोपहर 2 बजे से शुरू होगी स्पर्श पूजा
परंपरा रही है कि सावन पूर्णिमा को दोपहर बाद अरघा हटा दिया जाता है। इसके बाद प्रशासन, पुरोहित सब मेला के सफल संचालन को लेकर बाबा की विशेष पूजा करते हैं। इसमें उपायुक्त, एसपी, धर्मरक्षिणी सभा के अलावा तमाम पदाधिकारी साथ होते हैं। मंदिर प्रांगण में वह खुशी का क्षण होता है, बाबा को चढ़ा प्रसाद श्रद्धालुओं के बीच बांटा जाता है। इसके बाद देवघर पहुंचने वाले भक्त बाबा की स्पर्श पूजा करते हैं।
जानिए, किसने क्या कहा
चंद्रग्रहण को देखते हुए आम श्रद्धालुओं के लिए जलाभिषेक का समय शाम सात बजे तक होगा। सात बजे से पुरोहित समाज द्वारा विल्वपत्र चढ़ाया जाएगा। इसके तुरंत बाद बाबा का श्रृंगार होगा और सुबह तक के लिए पट बंद हो जाएगा।
-बीके झा, मंदिर प्रभारी
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चंद्रग्रहण के कारण रात्रि दस बजे से पहले बाबा को भोग लगाने समेत सारे अनुष्ठान पूरे कर लिए जाएंगे। इससे दो घंटे पहले मंदिर में पूजा-अर्चना बंद हो जाएगी।
-दुर्लभ मिश्रा, उपाध्यक्ष अखिल भारतीय तीर्थपुरोहित सभा।
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सोमवार को चंद्रग्रहण एक सुखद संयोग है, इसे चूड़ामणि योग कहा जाता है। यह अनंत फलदायी होता है।
-प्रमोद श्रृंगारी।
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