रुद्राभिषेक से पूरी होती है मनोकामना, प्रसन्न होते हैं शिव जी
रुद्र दु:खों का नाश करने वाले हैं। जगत के पालनहार हैं। वेद रूप में सबका कल्याण करने वाले है।
बासुकीनाथ, जेएनएन। भोलेनाथ को रुद्राभिषेक अत्यंत प्रिय है। शिव पुराण में भी वर्णित है कि रुद्राभिषेक से शिव प्रसन्न होते हैं। शुक्ल यजुर्वेद से रुद्राष्टध्यायी पाठ का संग्रह किया गया है। इसमें शिव के सगुण व निगरुण दोनों रूपों का वर्णन है।
रुद्राष्टध्यायी पाठ के जानकार वैदिक पंडित आशुतोष झा, कारू बाबा सहित अन्य पंडा पुरोहित बताते हैं कि रुद्रा-अष्टध्यायी के छह अंगों रूपक, इन्द्री, लघु, रूद्र, महारूद्र, अतिरुद्र, और रुद्राभिषेक से शिव की पूजा की जाती है।
पंडित आशुतोष झा कहते हैं कि रुद्र दु:खों का नाश करने वाले हैं। जगत के पालनहार हैं। वेद रूप में सबका कल्याण करने वाले है। भोलेनाथ का अभिषेक करने से सभी दु:खों का निवारण होता है। इससे समस्त जग का कल्याण होता है।
पंडित मणिकांत झा मन्नौ बाबा बताते है कि भगवान शिव को षोड्शोपचार विधि से पूजन व गंगाजल, दुध, दही, शहद, नारियल पानी, गन्ना रस, इत्र या सुगंधित तेल, केशर युक्त दूध समेत अन्य वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है।
विभिन्न प्रकार की कामना व मनोवांछित फल के निमित्त अलग-अलग पूजन समाग्रियों से पूजन व अभिषेक का विधान है। रुद्राभिषेक से संपन्नता, धन-धान्य, संतान सुख, कष्ट से मुक्ति, विद्या प्राप्ति सुलभ है।
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