जाम से शहरवासी परेशान, प्रशासन बेखबर
मधुपुर (देवघर) : सोमवार को शहरवासी जाम से घंटों हलकान रहे। सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक मधुपुर-सार
मधुपुर (देवघर) : सोमवार को शहरवासी जाम से घंटों हलकान रहे। सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक मधुपुर-सारठ मुख्य पथ के डालमिया कूप व शहरी क्षेत्र को जोड़ने वाली रेलवे भूतल पुल स्थित वीर कुंवर ¨सह चौक से लेकर हटिया रोड में इस कदर जाम लगा कि लोग करीब दो घंटे तक हजारों लोग जाल में फंसे मछली की तरह तड़पते रहे। सैकड़ों ऑटो, ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, ठेला, रिक्शा, ट्रक व अन्य चारपहिया वाहनों का जमघट लगने के कारण लोगों की परेशानियां और बढ़ गई। यहां एक चौकीदार तक किसी चौक-चौराहे पर तैनात नहीं दिखा। ईद का बाजार और उस पर सोमवार का दिन साप्ताहिक हाट का होने के बाद भी पुलिस का एक भी नुमाइंदा यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिए नहीं लगाया जाना प्रशासन की लापरवाही दर्शाता है। लोगों द्वारा पुलिस को सूचना देने के करीब डेढ़ घंटे बाद तीन-चार पुलिस वाले पहुंचे, लेकिन जाम को हटाने व यातायात शुरू करने में उनके पसीने छूट गए। सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को हुई, जो उमस भरी गर्मी में जाम में घंटों फंसे रहे। लोग प्रशासन को जमकर कोस रहे थे। इधर मारवाड़ी युवा मंच व योर्स कमेटी के अध्यक्ष कन्हैया लाल कन्नू सहित विभिन्न दलों के लोगों का कहना है कि मधुपुर को अनुमंडल बने 25 साल से अधिक हो गया, लेकिन आज तक ट्रैफिक को मुकम्मल तौर पर स्थापित नहीं किया जा सका है, जो प्रशासन की लापरवाह कार्यशैली को दर्शाता है। यही कारण है कि शहर वासी सालोंभर जाम से परेशान रहते हैं। शहर में नो इंट्री नाम की कोई चीज नहीं है। दिन रात शहरी क्षेत्र के व्यस्त पथों पर मालवाहक वाहनों का प्रवेश होने से पैदल चलना दूभर हो गया है। लेकिन प्रशासन का लोगों की परेशानी से कोई लेना देना नहीं रह गया है। लोगों ने उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा व एसपी ए विजया लक्ष्मी से ईद पर्व को देखते हुए अविलंब ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार करने व नो इंट्री लागू करने की मांग की है।
बता दें कि सरदार पटेल रोड में ओवरब्रिज का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है, जिसके कारण गांधी चौक व स्टेशन रोड की ओर से वाहनों का आवागमन बंद करने के कारण पिछले 10 दिनों से हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में पुलिस की तैनाती लाजमी हो गया है। बावजूद इसके प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है। अधिकांश विद्यालय खुल जाने से सबसे अधिक परेशानी बच्चों को हो रही है।