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आने वाले समय में छात्रों का नहीं होगा पलायन : बाबूलाल

देवघर : आदिवासी छात्रसंघ की ओर से रविवार को नववर्ष सह आदिवासी सोहराय मिलन समारोह का आयोजन एएस महावि

By Edited By: Published: Sun, 08 Jan 2017 06:45 PM (IST)Updated: Sun, 08 Jan 2017 06:45 PM (IST)
आने वाले समय में छात्रों का नहीं होगा पलायन : बाबूलाल

देवघर : आदिवासी छात्रसंघ की ओर से रविवार को नववर्ष सह आदिवासी सोहराय मिलन समारोह का आयोजन एएस महाविद्यालय परिसर में धूमधाम से किया गया। इस दौरान आदिवासी छात्र-छात्राओं ने संताली व डंडा नृत्य प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया।

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समारोह का उद्घाटन करते हुए सूबे के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि भाषा, पर्व व त्योहार संताल की पहचान है। इसे छोड़ेंगे तो किताबों तक सिमट कर रह जाएगा। इसमें अपने श्रद्धा, भाव को बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों को अक्षर का ज्ञान नहीं था लेकिन वह समझदार थे। हीनता से महानता में कमी आती है। प्रत्येक जिले में आदिवासी छात्रावास का निर्माण हो तथा सभी के लिए शिक्षा सुलभ हो इसका प्रयास होना चाहिए। साथ ही आश्वस्त किया कि आने वाले समय में ऐसी आधारभूत सरंचना होगी कि बच्चों को शिक्षा के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

पुलिस अधीक्षक ए विजया लक्ष्मी ने कहा कि सोहराय आदिवासी समाज का खुशी का पर्व है। सभी समाज कृषि से जुड़ा है और देश के अलग-अलग राज्यों में इस पर्व को अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। हमें अपनी संस्कृति को बचाकर रखने की जरूरत है। पूर्व डीआईजी सिदो हेम्ब्रम ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की पहचान उसकी भाषा, जाति व धर्म से होती है। आजादी के बाद शिक्षा के क्षेत्र में विकास हुआ है लेकिन आदिवासी समुदाय तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी पीछे है। इस दौरान एएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. फणिभूषण यादव, देवघर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. प्रमोदिनी हांसदा व सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. नागेश्वर शर्मा ने विकास के नाम पर प्रकृति के दोहन का विरोध किया और कहा कि हम शाश्वत रूप से प्रकृति से इतने जुड़े हैं कि उसकी पूजा करते हैं। प्रकृति के दोहन का ही परिणाम है कि महानगरों में ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है। पर्व हमारी सभ्यता व संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने का काम करता है। डॉ. संजय ने आदिवासी छात्रावास के सौंदर्यीकरण की मांग की। मौके पर निर्मला भारती, दिलीप ¨सह सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के महिला व पुरुष मौजूद थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में संघ के अध्यक्ष शंभू कोल, सचिव नितेश टुडू, कोषाध्यक्ष निलेश मरांडी, मुख्य संयोजक केदार मुर्मू, प्रकाश मरांडी, नागाम किस्कू, निकोदोमस हेम्ब्रम, सुरेश हेम्ब्रम, सामेल बेसरा, ईश्वरी हेम्ब्रम, सचिन किस्कू, मनोज बेसरा, सुनील सोरेन, रमेश मुर्मू, राजकुमार मरांडी, शिवशंकर मुर्मू, सिकंदर सोरेन, अजीत मुर्मू, निर्मल किस्कू व ब्रज किशोर मुर्मू ने अहम भूमिका निभाई।

समारोह में छाया रहा तीन-धनुष

सोहराय मिलन समारोह में तीर-धनुष छाया रहा। आदिवासी छात्र संघ के सदस्यों ने इसे अपनी परंपरा बताई तो राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इससे आगे बढ़ाने की बात कही। उनके कहने के आशय को लोग अपने-अपने तरीके से ले रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए केदार मुर्मू ने कहा कि दुमका के आदिवासी बालक छात्रावास पर स्थानीय जिला प्रशासन ने छापेमारी की तो तीर-धनुष मिला और इसे प्रशासन ने हरवे-हथियार का रूप दे दिया। जिस उद्देश्य व संस्कृति को लेकर झारखंड की स्थापना हुई है उसे ही कुचलने का प्रयास चल रहा है। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि पंजाब में कृपाण व साधु-संत त्रिशूल लेकर चल सकते हैं तो आदिवासियों को तीर-धनुष हथियार कैसे हो जाएगा, जो हमारी श्रद्धा व संस्कृति से जुड़ा हुआ है। यह भी कहा गया कि सीएनटी व एसपीटी ब्रिटिश शासन में आदिवासियों के सुरक्षा कवच के रूप में बनाया गया है, जिसमें सेंधमारी की जा रही है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आदिवासी के जन्म के साथ ही तीर-धनुष जुड़ जाता है, लेकिन आज देश-दुनिया ने बड़े-बड़े हथियार यहां तक की परमाणु अस्त्र तक बना लिए हैं। इसलिए आदिवासी समाज के विकास के साथ अविष्कारक भी बनना होगा। सिदो, कान्हू, चांद व भैरव आते हैं तो आज भी तीर-धनुष देखकर रो पड़ेंगे। अब यह समझना होगा कि मरांडी का इशारा किस तीर-धनुष की ओर था।


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