तकनीक से बदल रही स्वास्थ्य सेवा
देवघर : जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस न मिलने की शिकायत अब बीते दिनों की बात हो जाएगी। अब पलक झपकते अस्पताल
देवघर : जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस न मिलने की शिकायत अब बीते दिनों की बात हो जाएगी। अब पलक झपकते अस्पताल प्रबंधन को यह जानकारी मिल जाएगी कि कौन सी एंबुलेंस सदर अस्पताल से कितनी दूरी पर है। किस चालक को फोन करने पर वह वाहन लेकर जल्दी अस्पताल पहुंच जाएगा। देवघर के सरकारी 10 एंबुलेंस में जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम) लग गया है।
संवेदना से बदलेगी व्यवस्था
मुसीबत की घड़ी में ही व्यवस्था की परीक्षा होती है, प्रबंधन की जनता के प्रति जिम्मेदारी का अहसास होता है। अस्पताल में संकट के समय में ही लोग आते हैं। यहां अक्सर इस बात को लेकर बवाल होता है कि समय पर एंबुलेंस नहीं मिली। अस्पताल के पोर्टिको में एंबुलेंस लगी है तो चालक नहीं। चालक है तो एंबुलेंस नहीं। या चालक वाहन लेकर कहां गया है इसका पता नहीं चल रहा। लेकिन अब इन सारी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।
क्या है यह सिस्टम
जीपीएस से सिर्फ यही पता नहीं चलेगा कि एंबुलेंस कहां है। बल्कि ड्राइवर का मोबाइल नंबर भी उस पर आएगा। दूसरा पक्ष यह कि यदि रास्ते में किसी एंबुलेंस में कोई समस्या आ गयी अथवा चालक से किसी ने बदसलूकी कर दी, तो इसकी जानकारी भी मिल जाएगी। चालक मरीज लेकर गया और गांव वाले या मोहल्ले वालों ने उसे घेर लिया तो चालक को फोन करने की जरूरत नहीं होगी। वह वाहन में लगे एक स्विच को दबाएगा तो संबंधित पदाधिकारी के मोबाइल पर एसएमएस अलर्ट आएगा। वह तत्काल उस पर कार्रवाई करेंगे। अभी कुछ दिन पहले नई व्यवस्था का सफल ट्रायल किया गया। एक एंबुलेंस के साथ ऐसा हुआ था तो तुरंत सुरक्षा बलों को भेजा गया था।
शव वाहन का नहीं है इंतजाम
मरीज को आपातकाल में एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए विभाग के पास 10 एंबुलेंस है। लेकिन शव ले जाने की नौबत आए तो सरकार के स्तर पर शव वाहन का इंतजाम नहीं है। सदर अस्पताल में शवगृह तक नहीं है, जबकि इसकी अत्यंत आवश्यकता है। देवघर जैसे अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर के अस्पताल में तो इसकी व्यवस्था होनी ही चाहिए। अभी एक दिन पूर्व ओडिशा की घटना ने सिस्टम पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। सामर्थ्यवान लोग तो शव को अस्पताल से अपनी व्यवस्था पर ले जाते हैं, लेकिन एक गरीब व लाचार आदमी अस्पताल से अपने घर तक परिजन के शव को नहीं ले जा सकता जो कल तक उसका अभिन्न अंग था। देवघर सदर अस्पताल में भी इसका प्रावधान नहीं है, लेकिन अस्थायी तौर पर प्रबंधन यह व्यवस्था कर सकता है।
कहां-कहां है एंबुलेंस
बाबा मंदिर दो, सदर अस्पताल दो, मधुपुर दो, जसीडीह, सारठ, सारवां, मोहनपुर, करौं में एक-एक एंबुलेंस है। इसके अलावा 10 प्राइवेट एंबुलेंस भी है।
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एंबुलेंस में जीपीएस तो लग गया है। यह काम भी कर रहा है। अस्पताल प्रबंधन, कंट्रोल रूम में इसका एसएमएस अलर्ट आता है। जहां तक शव वाहन की बात है तो इसकी व्यवस्था नहीं है। रही बात सदर अस्पताल से इमरजेंसी के वक्त किसी गरीब परिवार के शव को घर तक ले जाने की तो अस्पताल प्रबंधन कमेटी के फंड से इसकी व्यवस्था कराएगा। मानवीय संवेदना सर्वोपरि है।
असीम कुमार सिन्हा, प्रशासनिक पदाधिकारी, सदर अस्पताल।