बिजली संकट से उपभोक्ता परेशान
मधुपुर (देवघर) : बीते 10 फरवरी को विद्युत ग्रिड का उद्घाटन मुख्यमंत्री रघुवर दास के हाथों होने के बा
मधुपुर (देवघर) : बीते 10 फरवरी को विद्युत ग्रिड का उद्घाटन मुख्यमंत्री रघुवर दास के हाथों होने के बाद 6 दशक से बिजली की समस्या से त्रस्त मधुपुरवासियों को नई उम्मीद जगी थी कि नासूर बन चुकी इस संकट से निजात मिल जाएगी। लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। आपूर्ति व्यवस्था कितनी बदतर हो गई है, इसका अंदाजा इस बात से साफ लगाया जा सकता है कि मंगलवार रात 11:30 में शहरी इलाके की बिजली गुल हो गई। करीब 10 घंटे बाद बुधवार सुबह 9 बजे बिजली की आपूर्ति सामान्य हुई। सिर्फ लोकल फाल्ट के कारण पिछले एक माह के दौरान कोई ऐसा दिन नहीं गुजरता जब सात से आठ घंटे आपूर्ति बाधित न हुई हो। पिछले दस दिन के अंदर तेज हवा के बीच हुई बारिश के दौरान करीब 60 घंटे बिजली गुल रही है। तार व इंसूलेटर की स्थिति इतनी जर्जर हो चुकी है कि हल्की हवा और बारिश होने पर कई जगहों पर तार टूटने व इंसूलेटर पंचर होने की घटना आम हो गई है। इसका सीधा असर आपूर्ति पर पड़ रहा है।
बता दें कि 1975 के दशक में पांच हजार उपभोक्ताओं की संख्या व 20 किलोमीटर की बिजली आपूर्ति के लिए 172 विभागीय अधिकारी व कर्मी कार्यरत थे। ठीक इसके विपरीत करीब 60 किलोमीटर तक फैली बिजली आपूर्ति व 40 हजार उपभोक्ताओं को निर्बाध आपूर्ति के लिए महज एक सहायक, दो कनीय अभियंता, एक सरकारी विद्युत कर्मी व तीन मैनडेज विद्युतकर्मी के भरोसे रखरखाव किया जा रहा है। विभाग द्वारा निजी तौर पर सात से दस विद्युतकर्मियों से काम कराया जाता है। कर्मियों की कमी के कारण निर्बाध आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जबकि ग्रिड से पटवाबाद सबस्टेशन को फूल लोड यानी की जरूरत के मुताबिक 16 से 19 मेगावाट आपूर्ति की जा रही है। लेकिन शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के फीडर में जर्जर तार व घटिया इंसूलेटर निर्बाध आपूर्ति में सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। जरूरत है जल्द से जल्द पुराने व जर्जर तार को बदलने की, तभी निर्बाध आपूर्ति हो सकती है।
इधर स्थानीय विधायक सह श्रम नियोजन मंत्री राज पलिवार के प्रयास से विभाग ने तीन माह के अंदर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में सभी जर्जर तार, इंसूलेटर व पुराने ट्रांसफार्मर को बदलने का भरोसा दिया है। इस दिशा में काम शुरू किया जा चुका है। जानकारी हो कि विभाग को जिले में सर्वाधिक राजस्व मधुपुर से 24 करोड़ रुपये प्राप्त होता है। लेकिन व्यवस्था व सुविधा के नाम पर घंटों आपूर्ति का बाधित रहना नियति बन चुकी है।