पूर्णिया बांध केपुनर्जीवन को लिया संकल्प
सारवां (देवघर) : समाज शिक्षित हो जाए या शैक्षिक माहौल बनाने में कोई शिक्षक आगे आए जाए तो समस्या का स
सारवां (देवघर) : समाज शिक्षित हो जाए या शैक्षिक माहौल बनाने में कोई शिक्षक आगे आए जाए तो समस्या का समाधान होना तय मान लीजिए। रक्ति पंचायत में कुछ ऐसा ही हुआ है। दैनिक जागरण के अभियान तलाश तालाबों की चर्चा समाज में हुई। सेवानिवृत्त शिक्षक पितांबर सिंह ने समाज के लोगों को जागरण के पहल से अवगत कराया व कहा कि जब तक समाज आगे नहीं आएगा तब तक शासन व प्रशासन यूं ही तमाशबीन बना रहेगा। इसके बाद ग्रामीणों ने संकल्प लिया कि पहले खुद तालाब की सफाई व संरक्षण को लेकर आगे बढ़ेंगे उसके बाद किसी स्तर पर पहल करेंगे।
सौ साल पुराना बांध आज का उपेक्षा का शिकार
लस्करडीह गांव में पूर्णिया बांध दाग नंबर 63 के जीर्णोद्धार को लेकर ग्रामीणों ने विचार किया। कहा गया कि यह इलाके की लाइफ लाइन है। सौ साल पुराना यह बांध आज उपेक्षा का शिकार है, वह तो भला हो जागरण का जिसने इस मुहिम को लाया जिससे जनता खुद ब खुद जुड़ती जा रही है। एक समय था जब इसमें वर्षो भर पानी रहता था। रक्ति, कुशमाहा, भंडारो, सारवां के तीन दर्जन गांव के किसान इससे पटवन किया करते थे।
सरकार की स्तर से नहीं हुई पहल
किसान पप्पू सिंह, परेश सिंह, भुटकू मंडल, नुनलाल मंडल, मिठु राउत, कलेक्टर मंडल, लालू मंडल, नंदु राउत, सुखदेव सिंह, देबू मंडल, वरुण राउत, दारोगा मंडल, बबलू राउत, राकेश रोशन, अनिता देवी, दुलारी देवी, भगवंती देवी, अंजनी देवी, बेबी देवी, अहिल्या देवी, मुखरी देवी, नकुल मंडल सहित अन्य ग्रामीणों ने कहा कि 1980 में इसके जीर्णोद्धार के लिए 20 हजार की राशि ग्रामीणों के दबाव पर खर्च किया गया था। आज पंचायती राज व्यवस्था लागू हो गया है, लेकिन ग्रामसभा में इसके जीर्णोद्धार का प्रस्ताव लिया जाता है लेकिन कोई पहल सरकार के स्तर से नहीं की गई है।