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शिव की उपासना से मिटते नकारात्मक विचार

देवघर : जब से त्रिदेव शक्ति की परिकल्पना साकार हुई, उसी समय से 'ब्रह्मा', 'विष्णु' और 'महेश' की पूजा

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 01:20 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 01:20 AM (IST)
शिव की उपासना से मिटते नकारात्मक विचार

देवघर : जब से त्रिदेव शक्ति की परिकल्पना साकार हुई, उसी समय से 'ब्रह्मा', 'विष्णु' और 'महेश' की पूजा की जा रही है। त्रिदेव और भगवान सदाशिव में अंतर करना संभव नहीं है। प्राणियों के कल्याण के लिए अलग-अलग देवताओं की उपासना की बात कही जाती है, लेकिन सबके मूल में भगवान शिव ही निवास करते हैं। भारत में शिव की उपासना आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों विधि से होती है। द्वादश ज्योतिर्लिग में सर्वश्रेष्ठ स्थान हासिल करने वाले बाबा बैद्यनाथ तनिक प्रयास से ही भक्तों की मनोकामना पूरी कर देते हैं। बाबाधाम शिव और शक्ति के समन्वय का केंद्र के रूप में भी पूजित है।

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अगर भारत की संस्कृति, परंपरा और आस्था का जिक्र करें तो इसके शुरूआत की तिथि नहीं मिलेगी। शिव के बारे में कहा जाता है कि अनंत काल से प्रभु भक्तों की कामना पूर्ति कर रहे हैं। मानव सभ्यता के प्रारंभ या दूसरे शब्दों में कहें तो सृष्टि के पहले और संभवत: इसके बाद भी शिव का अस्तित्व शेष रहेगा। विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश हैं जहां हर माह के अनुरूप देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। यही कारण है कि भारत को आदि संस्कृति की जननी भी कहा जाता है।

'ऊं नम: शिवाय' यह केवल मंत्र मात्र नहीं है। कहा जाता है कि सच्चे मन से शिव को ध्यान में रखकर उनका आह्वान करने पर जीवन से नकारात्मक विचारों का समापन होता है। साथ ही देवाधिदेव महादेव की कृपा प्राप्त होती है। शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिन्होंने अपने आसपास प्रकृति की सुंदरता का रचा-बसा कर रखा है। कैलाश पर्वत पर भगवान शिव का वास है। यही कारण है कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले शिवभक्तों का उत्साह अपने चरम पर होता है। विषम परिस्थिति में भी भक्त अपनी इस दुरुह यात्रा को पूरी कर लेते हैं। ठीक इसी तरह बिहार के सुल्तानगंज से देवघर की पैदल यात्रा भी भक्तों के लिए आसान नहीं है। भले ही बदलते दौर के मुताबिक शिवभक्तों को सुविधा प्रदान किया जाता है, लेकिन बिना महादेव की कृपा के उनके दरबार में हाजिरी लगाना असंभव है। शिव किसी सीमा में नहीं बंधते हैं, आर्य या अनार्य सभी उनकी पूजा करते थे। शिव सामाजिक सौहार्द को मजबूती प्रदान करते हैं। भक्तों से बिना कुछ अपेक्षा के ही उनकी मुराद पूरी करने में तल्लीन रहने वाले भगवान 'सदाशिव' मानव जीवन में ऊर्जा का संचार कर रहे हैं।


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