Move to Jagran APP

किसी घर का चिराग बुझा, किसी की सूनी मांग हुई

देवघर/जसीडीह/मोहनपुर : पूरी रात शादी के मनोरंजक माहौल में किसी ने यह नहीं सोचा था कि सुबह होते ही दु

By Edited By: Published: Tue, 05 May 2015 01:54 AM (IST)Updated: Tue, 05 May 2015 01:54 AM (IST)
किसी घर का चिराग बुझा, किसी की सूनी मांग हुई

देवघर/जसीडीह/मोहनपुर : पूरी रात शादी के मनोरंजक माहौल में किसी ने यह नहीं सोचा था कि सुबह होते ही दुख का ऐसा पहाड़ टूट पड़ेगा जिसकी कसक पूरी जिंदगी रह जाएगी। जिसने सुना यही कहा कि इससे दर्दनाक घटना नहीं हो सकती। किसी के घर का चिराग बुझ गया तो किसी की मांग सूनी हो गई। दुल्हन के हाथ की मेंहदी भी तो पूरी तरह से नहीं सूख पाई थी कि इस ह्रदय विदारक घटना ने शादी के खुशनुमा माहौल को पूरी तरह से उलट कर रख दिया। घटनास्थल पर सड़क के किनारे खेत में हो रहा क्रंदन बार-बार लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा था।

loksabha election banner

जसीडीह थाना क्षेत्र के नोखिल, कोयरीडीह की रहनेवाली चिंता देवी के आंसू थामे नहीं थम रहे थे। आलम यह था कि रोते-रोते गिर पड़ती थी और बेहोश हो जाती थी। हो भी क्यों नहीं इनकी तो कोख ही सूनी हो गई। दुल्हन ललिता देवी की बुआ चिंता देवी की शादी बिरजू भोक्ता से हुई है और इस दंपती के दोनों पुत्र मंटू व सिंटू इस दुर्घटना में काल के गाल में समा गए। चिंता ने तो दो पुत्रों के साथ अपने भाई लाली यादव व भतीजा लेखो व सुभाष के अलावा भतीजी ममता को भी खो दिया।

बाप-बेटे ने साथ ली अंतिम सांस

रात में बरातियों के स्वागत में जुटे 28 वर्षीय लाली यादव ने सोचा भी नहीं होगा कि यह उनके जीवन की आखिरी रात होगी। उनके नौ वर्षीय पुत्र लेखो ने भी नहीं सोचा होगा अगले दिन वह अपने पिता के साथ ही अंतिम सांस लेगा। दोनों की मौत घटनास्थल पर ही हो गई। अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस महिला पर क्या बीत रही होगी जिसने अपना पुत्र व पति एक झटके में खो दिया। लाली, दुल्हन ललिता के चाचा तथा लेखो चचेरा भाई हुआ। इस घर का चिराग भी तो बुझ गया। बताते चलें कि ललिता के पिता महेंद्र यादव का पुत्र सुभाष यादव व बेटी ममता इस घटना में मौत के मुंह में समा गए। जबकि ललिता मौत से जूझ रही है। अरविंद के भाई लाली व लाली का बेटा लेखो की भी मौत हो गई। अरविंद के अन्य दो भाई मनोज व संतोष को बेटी ही है। उधर अंधरीगादर के अरविन्द का भी सदर अस्पताल में बुरा हाल था। उन्होंने अपने 12 वर्षीय पुत्र छोटू महतो को इस दुर्घटना में खो दिया है।

मातम में बदली खुशी

शिवनगर, सोलखामारनी की सुनीता देवरानी के जोरदार स्वागत की तैयारी में जुटी थी। उन्हें क्या मालूम था कि खुशी के इस माहौल में पति की मौत की खबर उन तक पहुंच जाएगी। सुनीता के पति विनोद भी अपनी भाई की शादी में गए थे और उसी स्कार्पियो से लौट रहे थे जो कि बीच रास्ते में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विनोद ने भी घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया। विनोद को दो साल का एक लड़का व तकरीबन एक साल की एक लड़की है। इस घटना में मोहनपुर थाना क्षेत्र के सियाटांड़ निवासी विनोद के जीजा पांडू महतो को भी अपनी जान गंवानी पड़ी। कहना न होगा कि इस घटना से जहां पूरा इलाका सन्न है वहीं आधा दर्जन परिवारों में मातम छा गया है।

--------------

चीत्कार में बदली शहनाई की धुन

रात जहां खुशी के माहौल में शहनाई की धुन सुबह होते-होते चित्कार में बदल गई। समय ने ऐसी करवट ली कि शादी के बंधन में बंधने वाले दो परिवार के 12 सदस्य अपनों को जीवनभर का गम देकर हमेशा के लिए चले गए। जसीडीह थाना क्षेत्र के अंधरीगादर गांव के महेंद्र यादव की बेटी ललिता कुमारी की शादी मोहनपुर थाना क्षेत्र के शिवनगर गांव के सोलखामारनी टोला निवासी सुरेन्द्र यादव की शादी धूमधाम से हुई। रात भर लड़की के घर में गाना बजाना होता रहा। सुबह करीब 6 बजे खुशी-खुशी शादी सम्पन्न हुई। अधिकांश बराती पहले ही वापस लौट चुके थे। कुछ लोग जिन्हें वर-वधू के साथ लौटना था वे रुक गए। इन सभी को सुबह करीब 9 बजे विदा किया गया। लड़की को विदा करने के बाद घर के लोग ठीक से बैठे भी नहीं होंगे कि करीब आधे घंटे बाद दुर्घटना की सूचना उन्हें मिली। सूचना मिलते ही खुशी का माहौल चंद पलों में ही गम में बदल गया। लड़की के चाचा, फुआ, चाची आदि रो-रोकर बेहोश हो रहे थे। शादी का मंडप, पंडाल व वहां पड़ी खाली कुर्सी मानो काटने को दौड़ रही थी। ऐसा ही कुछ हाल लड़के के घरवालों का भी था। यहां कल देर शाम ही बरात को सभी ने विदा कराया था। लड़के के घरवाले बहु-बेटे की अगुवाई के लिए तैयार बैठे थे। घर में कोहवर तैयार हो गया था। सभी को बस दोनों के आने का इंतजार था लेकिन इसी बीच दुर्घटना की सूचना मिली। कुछ देर के लिए सभी स्तब्ध रहे गए। देखते ही देखते हंसी की जगह आंसुओं ने ले ली। घरवालों के साथ पूरा गांव रो रहा था। ऐसी विपदा न किसी ने कभी देखी थी और न ही सुनी थी।

-----------

मर्याद रखने की परंपरा देती थी सुकून

आपको याद होगा कल तक बेटी की विदाई से पूर्व मर्याद खिलाया जाता था। ऐसा नहीं कि जो धनाढ्य होते वही ऐसा करते। सब अपनी हैसियत के हिसाब से इसे करते थे। इसके पीछे की बात समझने की हम सब कोशिश करें। शादी में इतने रस्म-रिवाज होते हैं कि विवाह के दिन से पूर्व ही लोगों का मन मिजाज चूड़ हो जाता है। उस पर बराती तो इतने झूमते हैं कि उनको दरवाजा लगने के बाद बैठने तक की हिम्मत नहीं रह जाती। परंपरा यह रही कि बरात अगले दिन मर्याद यानि कच्ची खाकर विदा होता था। इसमें बरातियों को आराम करने, वाहन चालकों को नींद पूरी करने का अवसर मिल जाता था। अब ऐसा नहीं हो रहा। आसमान में लालिमा आते ही वर पक्ष के लोग जाने की जिद करने लगते हैं। अब तो पुरानी परंपरा को तिलांजलि देकर वन टाइम सेटलमेंट हो गया है। वधू पक्ष भी चाहता है कि जितनी जल्दी हो बरात विदा हो जाए पर इस बात की चिंता किसी को नहीं रहती कि जो वाहन बरात में लगाए गए हैं उसके चालक ने आराम किया है या नहीं। आखिर वह भी तो इंसान ही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.