पंचायत भवन जाने को नहीं मिलती सड़क
पालोजोरी (देवघर) : प्रखंड मुख्यालय से छह किमी दूर पड़ता जीवनाबांध पंचायत। इस पंचायत के विभिन्न गांवों
पालोजोरी (देवघर) : प्रखंड मुख्यालय से छह किमी दूर पड़ता जीवनाबांध पंचायत। इस पंचायत के विभिन्न गांवों में जाने पर पता चलता है कि यहां पक्की सड़क का घोर अभाव है। मजेदार बात यह है कि पंचायत मुख्यालय तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। लोग पगडंडी के सहारे पंचायत भवन पहुंचते हैं। लोगों का कहना है कि ठेकेदारी के चक्कर में भवन को गलत जगह बना दिया गया है। इस मामले मे उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया जा चुका है।
रागाटाड़ के झाझा टोला व मंडल टोला से जोरिया तक पंचायत चुनाव के बाद पथ का निर्माण कराया गया। इससे लोगों को सहूलियत हुआ है। गांवों में सिंचाई कूप व तालाब निर्माण होने से किसानों को काफी फायदा मिला है। अब धान के साथ विभिन्न सब्जियों की खेती भी की जा रही है। लोगों को इस बात का अफसोस है कि पंचायत में एक भी स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है। जरूरत के समय लोगों को इलाज के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं फुलजोरी, छैलापाथर, असहना व रागाटांड़ में भवन नहीं रहने के आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकान में चलाए जा रहे हैं। गांव में जहां जाएं वहां गंदगी का अंबार जरूर मिलता है। इस पंचायत की सरकार का स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत से कोई वास्ता नहीं है।
प्रोफाइल
जनसंख्या : 5712
आंगनबाड़ी केंद्र : सात
शिक्षा : नौ सरकारी विद्यालय
जविप्र दुकान : छह
बैंक : एक
स्वास्थ्य उपकेंद्र : नहीं
पंचायत एक नजर में
12 गांव वाले इस पंचायत में जीवनाबांध, नुनुराय नवाडीह, रांगाटांड़, फुलजोरी, दौंदी, तेतरिया, कुरूवा, टेंगधावा, उपरबांधी, असहना, छैलापाथर, वेदगांवा नवाडीह शामिल हैं।
पांच वर्ष में मुखिया की उपलब्धि
. मनरेगा के तहत तीन करोड़ की राशि खर्च की गई।
. 60 इंदिरा आवास, 78 पेंशन की स्वीकृति व 265 आवेदन भेजे गए।
. 11 तालाब का निर्माण, दो का जीर्णोद्धार, चार पीसीसी पथ का बनवाया गया।
. लोगों को पेयजल की दिक्कत नहीं हो, इसके लिए 12 चापाकल लगवाए गए।
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पांच साल में विकास के कई कार्य किए गए। लोगों को सरकारी योजनाओं का हरसंभव लाभ दिखाने का प्रयास किया गया है। दोबारा अवसर मिला तो और भी बेहतर परिणाम दिया जाएगा।
उमेश यादव, मुखिया, जीवनाबांध पंचायत